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"अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन, लखनऊ" (ढोल की पोल की रपट)

Friday, August 31, 2012

मित्रों!
     27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन का आयोजन किया गया। जिसमें अव्यवस्थाओं का अम्बार देखने को मिला। लेकिन यदि कोई खास बात थी तो वह यह थी कि आयोजकद्वय ने स्वयं को ही सम्मानित करवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जिसके चलते द्वितीय सत्र को कैंसिल कर दिया गया। विदित हो कि इसमें शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) मुख्य वक्तागण थे। जो इसके लिए आवश्यक तैयारी भी करके आये थे। 
       ब्लॉग विश्लेषक  से मैं यह प्रश्न तो कर ही सकता हूँ कि बाबुषा कोहलीGoogleProfilehttps://profiles.google.com/baabusha बाबुषा कोहली Educationist - KVS - Jabalpur) को लंदन की क्यों घोषित कर किया गया? उन्हें तो यह पता ही होना चाहिए कि ये जबलपुर के केन्दीय विद्यालय में अध्यापिक के रूप में कार्यरत हैं। 
         अब बात करता हूँ- तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011 की जिसमें डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार और नीरज जाट, दिल्ली   (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत) के रूप में सम्मानित होने थे। मगर इनका नाम केवल ब्लॉग की पोस्टों में प्रकाशित करने के लिए ही था। संचालक ने इन दो नामों को लिएबिना ही सम्मान-समारोह को समाप्त करने की घोषणा कर दी। तब हमने एक जिम्मेदार आयोजक से जाने की अनुमति चाही तो उन्होंने कहा कि थोडी देर और बैठते। 
       इसपर मैंने कहा कि सम्मान समारोह तो समाप्त हो गया है अब बैठने का क्या लाभ? तब आनन-फानन में बन्द पेटी को खोला गया और दो कोरे सम्मान पत्रों पर जैसे-तैसे नीरज जाट का और मेरा नाम लिखा गया। लेकिन तब तक अधिकांश लोग हाल से बाहर जा चुके थे। 
       मेरा नाम पुकारा गया तो मैं सम्मान लेने के लिए अपनी सीट से उठा ही नहीं इस पर रणधीर सिंह सुमन ने आग्रह करके मुझे बुलाया। सम्मान की तो कोई लालसा मैंने कभी भी नहीं की है क्योंकि माँ शारदा की कृपा से मैं साहित्यकारों को सम्मानित करने में स्वयं ही सक्षम रहा हूँ। इस पर प्रश्न उठता है कि ऐसी भारी चूक कैसे हो गई आयोजकद्वय से।
खैर इस बात को यदि नजरअंदाज कर भी दिया जाए तो सम्मान समारोह को दो चरणों में कराने का क्या औचित्य और मंशा आयोजकद्वय का रहा होगा मेरी समझ में यह बात अभी तक नहीं आ सकी है। मैं सीधे ही आरोप लगाता हूँ कि जिसमें आयोजक द्वय को सम्मानित होना था उसे कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अंजाम दिया गया और पूड़ी-सब्जी खाने के लिए दूर-दूर से आने वाले ब्लॉगरों को उस   समय सम्मानित किया गया जब कि अधिकांश ब्लॉगर अपने गन्तव्य को जा चुके थे। फिर मीडिया भला क्यों ठहरती और इन सम्मानित हुए ब्लॉगरों का नाम किसी पन्ने पर खबर का रूप कैसे लेता?
अपने जीवन काल में मैंने यह इकलौता कार्यक्रम ही देखा जिसका नाम सम्मान समारोह था जिसमें सम्मानदाताओं का नाम तो सुर्खियों में था मगर सम्मान लेने वालों का नाम किसी भी अखबार या मीडियाचैनल में नदारत था। हाँ, उनका नाम जरूर था जिसमें आयोजकद्वय सम्मानित हुए थे।
अब अगर व्यवस्था की बात करें तो मैंने समारोह से 8 दिन पूर्व एक मेल आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी को किया था-“
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
19 अगस्त (12 दिनों पहले) ravindra
 27 अगस्त के कार्यक्रम में जो ब्लॉगर्स आयेंगे, उनके विश्राम, स्नानादि की व्यवस्था कहाँ पर होगी?
       लेकिन इसका उत्तर देना इन्होंने मुनासिब ही नहीं समझा। 
      यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे तो बड़े पुत्र की ससुराल भी लखनऊ में ही है, इसलिए मेरे लिए तो कोई समस्या थी ही नहीं मगर उन ब्लॉगरों का क्या हुआ होगा जो कि सुदूर स्थानों से बड़े अरमान मन में लिए हुए इस कार्यक्रम में पधारे थे। 
        मेरे मित्र आ.धीरेन्द्र भदौरिया चारबाग रेलवे स्टेशन की डारमेट्री में रुके थे और रविकर जी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ ठहरे थे। सबके मन में यही टीस थी कि दूर-दराज से ब्लॉगर आये हैं जो यह अपेक्षा करते थे कि रात्रि में एक अनौपचारिक गोष्ठि करते और अपने साथियों की सुनते और अपनी कहते।
        अब इन दो प्रमाणपत्रों की विसंगति भी देख लीजिए..!
और ये हैं 
सम्मानित होते हुए 
आयोजकद्वय..! 

मेरे तथ्यों की पुष्टि नीचे दिया गया आमन्त्रण करता है।
आमंत्रण : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन
संभावित कार्य विवरण
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन
एवं परिकल्पना सम्मान समारोह
(दिनांक : 27 अगस्त 2012,
स्थान : राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ )
प्रात: 11.00 से 12.00 उदघाटन सत्र
उदघाटनकर्ता : श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, केंद्रीय कोयला मंत्री, दिल्ली भारत सरकार
अध्यक्षता : श्री शैलेंद्र सागर, संपादक : कथा क्रम, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री उद्भ्रांत, वरिष्ठ साहित्यकार, दिल्ली
विशिष्ट अतिथि : श्री के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
: श्री समीर लाल समीर, टोरंटो कनाडा
: श्री मती शिखा वार्ष्नेय, स्वतंत्र पत्रकार और न्यू मीडिया कर्मी, लंदन
: श्री प्रेम जनमेजय, वरिष्ठ व्यंग्यकार, दिल्ली
: श्री मती राजेश कुमारी, वरिष्ठ ब्लॉगर, देहरादून
स्वागत भाषण : डॉ ज़ाकिर अली रजनीश, महामंत्री तस्लीम, लखनऊ
धन्यवाद ज्ञापन : रवीन्द्र प्रभात, संचालक : परिकल्पना न्यू मीडिया विशेषज्ञ, लखनऊ
संचालन : प्रो मनोज दीक्षित, अध्यक्ष, डिपार्टमेन्ट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,एल यू ।
विशेष : वटवृक्ष पत्रिका के ब्लॉगर दशक विशेषांक का लोकार्पण तथा दशक के हिन्दी ब्लोगर्स का सारस्वत सम्मान ।
12.00 से 1.30 चर्चा सत्र प्रथम : न्यू मीडिया की भाषायी चुनौतियाँ
अध्यक्षता : डॉ सुभाष राय, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री मति पूर्णिमा वर्मन, संपादक : अभिव्यक्ति, शरजाह, यू ए ई
विशिष्ट अतिथि : श्री रवि रतलामी, वरिष्ठ ब्लॉगर, भोपाल
सुश्री वाबुशा कोहली, लंदन, युनाईटेड किंगडम
डॉ रामा द्विवेदी, वरिष्ठ कवयित्री, हैदराबाद
डॉ अरविंद मिश्र, वरिष्ठ ब्लॉगर, वाराणसी
डॉ अनीता मन्ना, प्राचार्या, कल्याण (महाराष्ट्र)
आमंत्रित वक्ता : हेमेन्द्र तोमर, पूर्व अध्यक्ष लखनऊ पत्रकार संघ, डॉ ए. के. सिंह, अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज़्म एंड मास कम्यूनिकेशन, कानपुर, शहंशाह आलम, चर्चित कवि, पटना (बिहार)एवं अरविंद श्रीवास्तव, वरिष्ठ युवा साहित्यकार, मधेपुरा (बिहार) और सुनीता सानू, दिल्ली ।
संचालक : डॉ. मनीष मिश्र, विभागाध्यक्ष, हिन्दी, के एम अग्रवाल कौलेज, कल्याण (महाराष्ट्र)।
विशेष : साहित्यकार सम्मान समारोह (प्रबलेस और लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा) ।
अपराहन 1.30 से 2.30 : दोपहर का भोजन
अपराहन 2.30 से 3.30 : चर्चा सत्र द्वितीय : न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार
अध्यक्षता : श्री मती इस्मत जैदी, वरिष्ठ गजलकार, पणजी (गोवा)
मुख्य अतिथि : श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहाबाद
विशिष्ट अतिथि : श्री मती रंजना रंजू भाटिया, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री गिरीश पंकज, वरिष्ठ व्यंग्यकार, रायपुर (छतीसगढ़)
श्री मती संगीता पुरी, वरिष्ठ ब्लॉगर, धनबाद (झारखंड)
सुश्री रचना, दिल्ली
श्री पवन कुमार सिंह, जिलाधिकारी, चंदौली (उ. प्र.)
मुख्य वक्ता : शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड)
संचालक : डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली
विशेष: ब्लॉगरों को नुक्कड़ सम्मान
अपराहन 3.30 से 4.00 : चाय एवं सूक्ष्म जलपान
शाम 4.00 से 6.00 : चर्चा सत्र तृतीय : न्यू मीडिया दशा, दिशा और दृष्टि
अध्यक्षता : श्री मुद्रा राक्षस, वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ आलोचक, लखनऊ
विशिष्ट अतिथि : श्री राकेश, वरिष्ठ रंगकर्मी, लखनऊ
श्री शिवमूर्ति, वरिष्ठ कथाकार, लखनऊ
श्री शकील सिद्दीकी, सदस्य प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तरप्रदेश इकाई
श्री अविनाश वाचस्पति, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री नीरज रोहिल्ला, टेक्सास (अमेरिका)
मुख्य वक्ता : शैलेश भारत वासी, दिल्ली,मुकेश कुमार तिवारी, इंदोर (म प्र), दिनेश गुप्ता (रविकर), धनबाद, अर्चना चव जी,इंदोर, श्री श्रीश शर्मा, यमुना नगर (हरियाणा), डॉ प्रीत अरोड़ा, चंडीगढ़, आकांक्षा यादव, इलाहाबाद ।
संचालक : डॉ विनय दास, चर्चित समीक्षक, बाराबंकी ।
धन्यवाद ज्ञापन : एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन, प्रबंध संपादक लोकसंघर्ष और वटवृक्ष पत्रिका ।
विशेष : परिकल्पना सम्मान समारोह ।
अन्य आमंत्रित अतिथि : सर्वश्री रूप चन्द्र शास्त्री मयंक (उत्तराखंड),दिनेश माली(उड़ीसा), अलका सैनी (चंडीगढ़), हरे प्रकाश उपाध्याय (लखनऊ), गिरीश बिल्लोरे मुकुल (जबलपुर) ,कनिष्क कश्यप (दिल्ली),डॉ जय प्रकाश तिवारी(छतीसगढ़), राहुल सिंह (छतीसगढ़) ,नवीन प्रकाश(छतीसगढ़), बी एस पावला(छतीसगढ़), रविन्‍द्र पुंज (हरियाणा), दर्शन बवेजा(हरियाणा), श्रीश शर्मा(हरियाणा), संजीव चौहान(हरियाणा), डा0 प्रवीण चोपडा(हरियाणा), मुकेश कुमार सिन्हा(झारखण्ड), शैलेश भारतवासी(दिल्ली), पवन चन्दन(दिल्ली), शाहनवाज़(दिल्ली),नीरज जाट (दिल्ली),कुमार राधारमण (दिल्ली), अजय कुमार झा (दिल्ली), सुमित प्रताप सिंह (दिल्ली), रतन सिंह शेखावत(राजस्थान,मनोज कुमार पाण्डेय(बिहार), शहंशाह आलम(बिहार), सिद्धेश्वर सिंह (उतराखंड),निर्मल गुप्त(मेरठ),संतोष त्रिवेदी (रायबरेली), कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, शिवम मिश्रा(मैनपुरी),कुवर कुसुमेश (लखनऊ), डॉ श्याम गुप्त (लखनऊ), हरीश सिंह (भदोही)    आदि ।
द्रष्टव्य : इस अवसर पर अल्का सैनी का कहानी संग्रह लाक्षागृह और डॉ मनीष कुमार मिश्र द्वारा संपादित न्यू मीडिया से संबंधित सद्य: प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण भी होगा ।
शाम 6.00 से 7.00 : सांस्कृतिक कार्यक्रम/
तत्पश्चात समापन
तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011
मुकेश कुमार सिन्हा, देवघर, झारखंड ( वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि) , संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, उत्तर प्रदेश (वर्ष के उदीयमान ब्लॉगर), प्रेम जनमेजय, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार ),राजेश कुमारी, देहरादून, उत्तराखंड (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, यात्रा वृतांत ), नवीन प्रकाश,रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के युवा तकनीकी ब्लॉगर),अनीता मन्ना,कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),डॉ. मनीष मिश्र, कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),सीमा सहगल(रीवा,मध्यप्रदेश) रू रश्मि प्रभा ( वर्ष की श्रेष्ठ टिप्पणीकार, महिला ), शाहनवाज,दिल्ली (वर्ष के चर्चित ब्लॉगर, पुरुष ), डॉ जय प्रकाश तिवारी (वर्ष के यशस्वी ब्लॉगर), नीरज जाट, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत),गिरीश बिल्लोरे मुकुल,जबलपुर (मध्यप्रदेश) (वर्ष के श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर), दर्शन लाल बवेजा,यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक),शिखा वार्ष्णेय, लंदन ( वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, संस्मरण), इस्मत जैदी,पणजी (गोवा) (वर्ष का श्रेष्ठ गजलकार),राहुल सिंह, रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग विचारक),बाबूशा कोहली, लंदन (यूनाइटेड किंगडम) (वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्री ), रंजना (रंजू) भाटिया,दिल्ली (वर्ष की चर्चित ब्लॉगर, महिला),सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) (वर्ष के श्रेष्ठ अनुवादक), कैलाश चन्द्र शर्मा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ वाल कथा लेखक ),धीरेंद्र सिंह   भदौरोया (वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार, पुरुष),शैलेश भारतवासी, दिल्ली (वर्ष के तकनीकी ब्लॉगर),अरविंद श्रीवास्तव, मधेपुरा (बिहार) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक),अजय कुमार झा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग खबरी),सुमित प्रताप सिंह, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ युवा व्यंग्यकार),रविन्द्र   पुंज, यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के नवोदित ब्लॉगर), अर्चना चाव जी, इंदोर (एम पी) (वर्ष की श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर),पल्लवी सक्सेना,भोपाल (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, सकारात्मक पोस्ट) ,अपराजिता कल्याणी, पुणे (वर्ष की श्रेष्ठ युवा कवयित्री ),चंडी दत्त शुक्ल, जयपुर (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, कथा कहानी ),दिनेश कुमार माली,बलराजपुर (उड़ीसा) वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (संस्मरण ), डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार, सुधा भार्गव,वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली      ( वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक ) आदि..!

20 comments:

vandana gupta said...

बडी बे्बाकी से सच कह दिया आपने ………इतनी हिम्मत यहाँ कम ही लोगों मे देखी है:)

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

चलो जी कोई बात नहीं. अगली बार सुधार की आशा करनी चाहिए.

अरुण चन्द्र रॉय said...

यह तो होना ही था... शास्त्री जी आप जैसे यशस्वी और अनुभवी साहित्यकार को उस फार्स (farce) कार्यक्रम में जाना ही नहीं चाहिए था. क्या गत वर्ष की अवास्य्स्था और बंदरबाट भूल गए थे आप... गत वर्ष के कार्यक्रम की रूपरेखा जो हिंदी साहित्य निकेतन ने तय की थी वह वैसी रही और वहां भी ब्लॉग सत्र को स्क्रैप कर दिया गया था. यहाँ भी सूना है कि वैसा ही हुआ है.... शिवमूर्ति जैसे कथाकार को बुलाकर बेईज्ज़त करना शर्मनाक है... यदि आप ब्लोगर को आमंत्रित करते हैं तो उन्हें सम्मान देना चाहिए.... यह कार्यक्रम तीन लोगों का व्यक्तिगत कार्यक्रम था...वटवृक्ष के ब्लोगर विशेषांक के अवसर पर उसके संपादक का न रहना भी दुखद है... गत वर्ष के अनुभव से शायद वे न आई हों..... खैर.... हम इसकी भर्त्सना करते हैं.....

प्रमोद ताम्बट said...

पहली बार भी कई गलतियॉं की गईं थी आयोजकों ने उनसे कोई सबक लेना ज़रूरी नहीं समझा। मैं भी इस आयोजन में शामिल होना चाहता था परन्‍तु सच कहूँ हिम्‍मत नहीं हुई।

गगन शर्मा, कुछ अलग सा said...

बेकार ही अफसोस था ना जा पाने का

Sunil Kumar said...

आगे की सोंच .....

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
Shalini kaushik said...

sahi hai jab koi kam karna n aata ho to pahle seekh lena chahiye tabhi karna chahiye aapke sath aise vyavhar kee aasha nahi thi. कैराना उपयुक्त स्थान :जनपद न्यायाधीश शामली :

Unknown said...

आदरणीय शास्‍त्री जी, लगता है आपकी उम्र वास्‍तव में अधिक हो गयी है, इसीलिए मंचासीन अतिथियों को स्‍मृति चिन्‍ह प्रदान किये जाने की घटना को उल्‍टा आयोजकों को दिये जाने वाला सम्‍मान प्रमाणित करने का कुप्रयत्‍न कर रहे हैं। (कम से कम शैलेन्‍द्र सागर जी से फोन करके कन्‍फर्म कर लिया होता कि ये फोटो उनको स्‍मृति चिन्‍ह देये जाने के हैं, या..... कहिए तो उनके नं0 का मैं ही जुगाड करूं) और क्‍या ऐसी अनर्गल बात कहके आप शैलेन्‍द्र सागर जी का अपमान नहीं कर रहे।
वैसे चिन्‍ता की कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा अक्‍सर होता है। लगता है इतना सफल कार्यक्रम आपसे देखा नहीं गया, इसीलिए जिसने आपका सम्‍मान किया, आप उसी का अपमान करने बैठ गये।
इतने बडे कार्यक्रम में छोटी-मोटी त्रुटियां तो होती रहती हैं। अगर पहला सत्र एक घंटा देर से शुरू हुआ, तो अगला सत्र तो गायब होना ही था। आयोजकों ने इसके लिए मंच से खेद व्‍यक्‍त तो कर दिया था। फिर इसमें इतना चें-चें मचाने की क्‍या बात है।
और अगर आप इस कार्यक्रम से इतने ही अपमानित महसूस कर रहे थे, तो फिर सम्‍मान लेने की फोटुएं क्‍यों पहले अपने ब्‍लॉग में चेंप दिये। अगर आपकी जगह मैं होता, और इस कार्यक्रम से इतनी नाराजगी होती, तो न तो उनसे सम्‍मान लेता और न ही सम्‍मान की फोटुएं अपने ब्‍लॉग पर चेंपता। अजी मैं तो थूंक देता ऐसे सम्‍मान पर। लेकिन आपने ऐसा किया, यानी कि आप सम्‍मन तो लेना चाहते थे, लेकिन किसी के हुसकाने में...।
शायद ऐसी ही किसी घटना को देखकर यह कहावत बनी है- जिस थाली में खाओ, उसी में हगो।
राम, राम। क्‍या जमाना आ गया है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

चलिए ठीक है!
सच्चाई को कहने से रोकने के लिए कोई तो आया!

BS Pabla said...

रूपचन्द्र जी
सारा कार्यक्रम पहले ही सार्वजनिक किया जा चुका था और साफ़ साफ़ बताया गया कि 'संभावित कार्य विवरण' (आपने स्वयं भी इसे नीले रंग से हाईलाईट किया है) क्या हो सकता है

यह स्वयं स्पष्ट था कि ना तो किसी को आने जाने का खर्च दिया जाएगा और ना ही किसी के ठहरने रूकने की व्यवस्था होगी. दूर से आने वालों में मैं भी था. तम्मना थी लखनऊ भी टहल लेंगे लेकिन सड़क पर पाँव तक ना रख सके.

प्रमाणपत्रों की जिन कथित विसंगतियों की बात दिखा बता रहे वह केवल आपके लिए नहीं है सभी के लिए है
ब्लॉग दशक सम्मान वालों को 'छपा' हुआ उल्लेखित किया गया है जबकि वर्ष के श्रेष्ठ .... वालों को 'हस्तलिखित' मान दिया गया

रही बात बाबुशा जी की तो उनके लंदन का रहस्य रविन्द्र जी आपको बाखूबी समझा देंगे

मुझे याद है एक बार आपने किसी कागज के टुकड़े पर अपना नाम रूपचंद्र की बजाय रूपचंद लिखे जाने पर भी पता नहीं क्या क्या कह दिया था

जब आप लिखते हैं कि यह इकलौता कार्यक्रम ही देखा जिसका नाम सम्मान समारोह था जिसमें सम्मानदाताओं का नाम तो सुर्खियों में था मगर सम्मान लेने वालों का नाम किसी भी अखबार या मीडियाचैनल में नदारत था तो आपको इस लिंक http://blogsinmedia.com/?p=20961 पर जा कर सच्चाई देखनी चाहिए

और भी कुछ और लिखने का मन था लेकिन मेरे ऑफिस का समय हो गया है

BS Pabla said...
This comment has been removed by the author.
DR. ANWER JAMAL said...

Nice post.

घड़ा मथा जाए तो माखन निकले और समुद्र मथो तो निकले अमृत.
मथने के लिए दो पक्ष बहुत ज़रूरी हैं.
आपका पक्ष जानकर पता चला
बड़े ब्लॉगर्स के ब्लॉग पर बहती मुख्यधारा का .

धन्यवाद.

अजय कुमार said...

sach se roobaroo karaane ke liye dhanyavaad , dukh ho rahaa hai.
jitanaa saamrathy ho utanaa hi kaam karanaa chaahiye.

Kunwar Kusumesh said...

बड़ा कोहराम मचा है यहाँ पर भाई.
वैसे हाथ से ही लिखा हुआ सम्मान-पत्र मुझे भी मिला है .

Tanu Thadani said...

........मैं स्वयं नागालैंड से आ कर उस तथाकथित अंतर्राष्ट्रीय ब्लागर सम्मेलन में पूरे दिन अपरिचित सा बैठा रहा देखता रहा लगभग २०० ब्लोगर आये होंगे मगर आत्म-मुग्ध आयोजक समेत तीस-चालीस लोग स्वयं-भू समर्थ ब्लोगर बन कर बस एक दुसरे का गुणगान किये जा रहे थे ,एक गुट सा बना कर सम्मान-पत्र का लेन - देन कर रहे थे ....अन्य ब्लोगरो से मिलने या परिचय करने या कराने की न तो आयोजको की नीयत थी ना ही दिलचस्पी ......जल्दी जल्दी प्रसिद्ध होने की होड़ सी मची दिख रही थी उस गुट में ........मगर मैं निराश नहीं हूँ .....राजनीति तो हर जगह हावी है ...प्रतिभावान ब्लोगर का असल मंच तो इन्टरनेट ही है ......ईश्वर ऐसे आयोजको को सदबुध्हि दे यही कामना रहेगी

BS Pabla said...

@ tanu thadani
व्यक्तिगत रूप से मुझे खेद है कि आपसे परिचय ना हो सका
वैसे भी , ऐसे आयोजनों में, भीड़ में, बिना पूर्वाग्रह अपना परिचय खुद ही देना होता है :-)

वहाँ कई ऐसे साथी मिले जिनसे वर्षों से संवाद रहा है लेकिन जब सामने खड़े हुए तो पहचानने में दिक्कत हुई, जब तक उन्होंने अपना नाम नहीं बताया

आकार और वेशभूषा के कारण मुझे तो पहचान लिया जाता है इसलिए मुझे स्वयं परिचय की ज़रुरत ही नहीं
हा हा हा

ePandit said...

आपके और नीरज जी के साथ हुई भूल गम्भीर थी। यही लगता है कि यह संयोगवश ही हुआ।

बाकी सभी ब्लॉगरों का आपसी परिचय का सत्र भी होता तो बेहतर था। वहाँ पहुँचकर विश्राम, स्नानादि वाली समस्या हमें भी आई वो तो हमारे साथ आये डॉ॰ प्रवीण चोपड़ा जी के रेलवे विभाग से होने से रेलवे स्टेशन पर ही काम चल गया।

kkarthik said...


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नापतोल.कॉम से कोई सामान न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....

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