कविता : "मुसाफ़िर "
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"*मुसाफ़िर "*
हम मिसफ़िर बनकर |
निकल पड़े अनोखी राह की तलाश में,
न तपती धूप की परवाह |
न आंधी और तूफान की ,
और न वह डरावनी रातों की |
हम सब निकल पड़...
20 hours ago
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3 comments:
सुंदर
ग खूबशूरत अहसाह ,बहुत सुन्दर रचना
बहुत अच्छी रचना...
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