कविता :"नींद "
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*"नींद "*
सोया था मैं न जाने कहाँ ,
सपना खोया था मेरा जंहा |
सबकुछ छूटता जा रहा है,
मेरा लक्ष्य मुझसे रूठता जा रहा है |
मै ढूंढ रहा हूँ अपने आप को ,
वही फ...
9 hours ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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