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"गीत-फिर से चमकेगा गगन-भाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Sunday, December 28, 2014

फिर से चमकेगा गगन-भाल।
आने वाला है नया साल।।

आशाएँ सरसती हैं मन में,
खुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल।
आने वाला है नया साल।।
होंगी सब दूर विफलताएँ,
आयेंगी नई सफलताएँ,
जन्मेंगे फिर से पाल-बाल।
आने वाला है नया साल।।

सिक्कों में नहीं बिकेंगे मन,
सत्ता ढोयेंगे पावन जन,
अब नहीं चलेंगी वक्र-चाल।
आने वाला है नया साल।।

हठयोगी, पण्डे और ग्रन्थी,
हिन्दू-मुस्लिम, कट्टरपन्थी,
अब नहीं बुनेंगे धर्म-जाल।
आने वाला है नया साल।। 

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"गीत-महाइन्द्र की पंचायत" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Friday, November 21, 2014

जिनका पेटभरा हो उनको, भोजन नहीं कराऊँगा।
जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।

महाइन्द्र की पंचायत में, भेदभाव की है भाषा,
अपनो की महफिल में, बौनी हुई सत्य की परिभाषा,
ऐसे सम्मेलन में, खुद्दारों का होगा मान नहीं,
नहीं टिकेगी वहाँ सरलता, ठहरेंगे विद्वान नही,
नोक लेखनी की अपनी में, भाला सदा बनाऊँगा।
जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।

जिस सरिता में बहती प्रतिपल, व्यक्तिवाद हो धारा,
उससे लाख गुना अच्छी है, रत्नाकर की जल खारा,
नहीं पता था अमृत के घट में, होगा विष भरा हुआ,
आतंकों की परछायी से, राजा होगा डरा हुआ,
जिस व्यंजन को बाँटे अन्धा, उसे नहीं मैं खाऊँगा।
जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।

उस पथ को कैसे भूलूँगा, जिस पथ का निर्माता हूँ,
मैं चुपचाप नहीं बैठूँगा, माता का उद्गाता हूँ,
ऊसर धरती में भी मैंने, बीज आस के बोए हैँ,
शब्दों की माला में, नूतन मनके रोज पिरोए हैं,
खर-पतवार हटा उपवन में, पौधे नये लगाऊँगा।
जिस महफिल में उल्लू बोलें, वहाँ नहीं मैं गाऊँगा।।

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"बाल साहित्य के ब्लॉगरों के लिए सूचना"

Wednesday, October 1, 2014

मान्यवर,
    दिनांक 18-19 अक्टूबर को खटीमा (उत्तराखण्ड) में बाल साहित्य संस्थान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
    जिसमें एक सत्र बाल साहित्य लिखने वाले ब्लॉगर्स का रखा गया है।
हिन्दी में बाल साहित्य का सृजन करने वाले इसमें प्रतिभाग करने के लिए 10 ब्लॉगर्स को आमन्त्रित करने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गयी है।
कृपया मेरे ई-मेल
roopchandrashastri@gmail.com
पर अपने आने की स्वीकृति से अनुग्रहीत करने की कृपा करें।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
सम्पर्क- 074176198289997996437

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‘‘जीवन के रूप’’ (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

Sunday, September 21, 2014


जीवन !
 
दो चक्र
कभी सरल
कभी वक्र,
--
जीवन !
दो रूप
कभी छाँव
कभी धूप
--
जीवन!
दो रुख
कभी सुख
कभी दुःख
--
जीवन !
दो खेल
कभी जुदाई
कभी मेल
--
जीवन !
दो ढंग
कभी दोस्ती
कभी जंग
--
जीवन !
दो आस
कभी तम
कभी प्रकाश
--
जीवन !
दो सार
कभी नफरत
कभी प्यार

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"मुक्तक-सदा दीप जलाये रखना" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Wednesday, August 27, 2014

मुक्तक
प्यार के फूल बगीचे में खिलाये रखना
गीत के साथ सदा ताल मिलाये रखना
रात के स्याह अँधेरों को छाँटने के लिए-
दिल के दरम्यान सदा दीप जलाये रखना

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“पथ निखर ही जाएगा” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Saturday, July 26, 2014

आज अपना हम सँवारें, कल सँवर ही जायेगा
आप सुधरोगे तो सारा, जग सुधर ही जाएगा
 
जो अभी कुछ घट रहा है, वही तो इतिहास है
देखकर नक्श-ए-कदम को, रथ उधर ही जाएगा
 
रास्ते कितने मिलेंगे, सोचकर पग को बढ़ाना
आओ मिलकर पथ बुहारें, पथ निखर ही जाएगा
 
एकता और भाईचारे में, दरारें मत करो
वरना ये गुलदान पल भर में, बिखर ही जाएगा
 
चमन में फूलों का सबको “रूप” भाता है बहुत
गर मिलेगी गन्ध तो, भँवरा पसर ही जाएगा

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"गज़ल-अब "रूप" राम का उभरा है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Friday, July 11, 2014

नजरों से गिराने की ख़ातिरपलकों पे सजाये जाते हैं।
मतलब के लिए इस दुनिया में, किरदार बनाये जाते हैं।।

जनता ने चुना नहीं जिनको, वो चोर द्वार से आ पहुँचे,
भारत में कुछ ऐसे वज़ीर, हर बनाये जाते हैं।

ढका हुआ भाषण से ही, ये लोकतन्त्र का चेहरा है
लोगों को सुनहरी-ख्वाब यहाँ, हर बार दिखाये जाते हैं।

संकर नसलें-संकर फसलें, जब से आई हैं भारत में, 
निर्धन बेटों की भूमि पर, वो महल बनाये जाते हैं।

गांधी बाबा के खादर में, अब "रूप" राम का उभरा है
भगवा चोला धारण करके, धन-माल कमाये जाते हैं।

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"ग़ज़ल-सावन की छटा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Wednesday, July 2, 2014

सावन की है छटा निराली
धरती पर पसरी हरियाली

तन-मन सबका मोह रही है
नभ पर घटा घिरी है काली

मोर-मोरनी ने कानन में
नृत्य दिखाकर खुशी मना ली

सड़कों पर काँवड़ियों की भी
घूम रहीं टोली मतवाली

झूम-झूम लहराते पौधे
धानों पर छायीं हैं बाली

दाड़िम, सेब-नाशपाती के,
चेहरे पर छायी है लाली

लेकिन ऐसे में विरहिन का
उर-मन्दिर है खाली-खाली

प्रजातन्त्र के लोभी भँवरे
उपवन में खा रहे दलाली

कैसे निखरे "रूप" गुलों का
करते हैं मक्कारी माली 

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"आज से ब्लॉगिंग बन्द" (डॉ. रूपचंद्र शास्त्री 'मयंक')

Monday, June 23, 2014

मित्रों।
फेस बुक पर मेरे मित्रों में एक श्री केवलराम भी हैं। 
उन्होंने मुझे चैटिंग में आग्रह किया कि उन्होंने एक ब्लॉगसेतु के नाम से एग्रीगेटर बनाया है। अतः आप उसमें अपने ब्लॉग जोड़ दीजिए। 
मैेने ब्लॉगसेतु का स्वागत किया और ब्लॉगसेतु में अपने ब्लॉग जोड़ने का प्रयास भी किया। मगर सफल नहीं हो पाया। शायद कुछ तकनीकी खामी थी।
श्री केवलराम जी ने फिर मुझे याद दिलाया तो मैंने अपनी दिक्कत बता दी।
इन्होंने मुझसे मेरा ईमल और उसका पासवर्ड माँगा तो मैंने वो भी दे दिया।
इन्होंने प्रयास करके उस तकनीकी खामी को ठीक किया और मुझे बता दिया कि ब्लॉगसेतु के आपके खाते का पासवर्ड......है।
मैंने चर्चा मंच सहित अपने 5 ब्लॉगों को ब्लॉग सेतु से जोड़ दिया।
ब्लॉगसेतु से अपने 5 ब्लॉग जोड़े हुए मुझे 5 मिनट भी नहीं बीते थे कि इन महोदय ने कहा कि आप ब्लॉग मंच को ब्लॉग सेतु से हटा लीजिए।
मैंने तत्काल अपने पाँचों ब्लॉग ब्लॉगसेतु से हटा लिए।
अतः बात खत्म हो जानी चाहिए थी। 
---
कुछ दिनों बाद मुझे मेल आयी कि ब्लॉग सेतु में ब्लॉग जोड़िए।
मैंने मेल का उत्तर दिया कि इसके संचालक भेद-भाव रखते हैं इसलिए मैं अपने ब्लॉग ब्लॉग सेतु में जोड़ना नहीं चाहता हूँ।
--
बस फिर क्या था श्री केवलराम जी फेसबुक की चैटिंग में शुरू हो गये।
--
यदि मुझसे कोई शिकायत थी तो मुझे बाकायदा मेल से सूचना दी जानी चाहिए थी । लेकिन ऐसा न करके इन्होंने फेसबुक चैटिंग में मुझे अप्रत्यक्षरूप से धमकी भी दी।
एक बानगी देखिए इनकी चैटिंग की....
"Kewal Ram
आदरणीय शास्त्री जी
जैसे कि आपसे संवाद हुआ था और आपने यह कहा था कि आप मेल के माध्यम से उत्तर दे देंगे लेकिन आपने अभी तक कोई मेल नहीं किया
जिस तरह से बिना बजह आपने बात को सार्जनिक करने का प्रयास किया है उसका मुझे बहुत खेद है
ब्लॉग सेतु टीम की तरफ से फिर आपको एक बार याद दिला रहा हूँ
कि आप अपनी बात का स्पष्टीकरण साफ़ शब्दों में देने की कृपा करें
कोई गलत फहमी या कोई नाम नहीं दिया जाना चाहिए
क्योँकि गलत फहमी का कोई सवाल नहीं है
सब कुछ on record है
इसलिए आपसे आग्रह है कि आप अपन द्वारा की गयी टिप्पणी के विषय में कल तक स्पष्टीकरण देने की कृपा करें 24/06/2014
7 : 00 AM तक
अन्यथा हमें किसी और विकल्प के लिए बाध्य होना पडेगा
जिसका मुझे भी खेद रहेगा
अपने **"
--
ब्लॉग सेतु के संचालकों में से एक श्री केवलराम जी ने मुझे कानूनी कार्यवाही करने की धमकी देकर इतना बाध्य कर दिया कि मैं ब्लॉगसेतु के संचालकों से माफी माँगूँ। 
जिससे मुझे गहरा मानसिक आघात पहुँचा है।
इसलिए मैं ब्लॉगसेतु से क्षमा माँगता हूँ।
साथ ही ब्लॉगिंग भी छोड़ रहा हूँ। क्योंकि ब्लॉग सेतु की यही इच्छा है कि जो ब्लॉगर प्रतिदिन अपना कीमती समय लगाकर हिन्दी ब्लॉगिंग को समृद्ध कर रहा है वो आगे कभी ब्लॉगिंग न करे।
मैंने जीवन में पहला एग्रीगेटर देखा जिसका एक संचालक बचकानी हरकत करता है और फेसबुक पर पहल करके चैटिंग में मुझे हमेशा परेशान करता है।
उसका नाम है श्री केवलराम, हिन्दी ब्लॉगिंग में पी.एचडी.।
इस मानसिक आघात से यदि मुझे कुछ हो जाता है तो इसकी पूरी जिम्मेदारी ब्लॉगसेतु और इससे जुड़े श्री केवलराम की होगी।
आज से ब्लॉगिंग बन्द।
और इसका श्रेय ब्लॉगसेतु को।
जिसने मुझे अपना कीमती समय और इंटरनेट पर होने वाले भारी भरकम बिल से मुक्ति दिलाने में मेरी मदद की।
धन्यवाद।

डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"

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"आज विनीत चाचा का जन्मदिन है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Saturday, June 21, 2014


चाचा जी खा लेओ मिठाई,
जन्मदिवस है आज तुम्हारा।
महके-चहके जीवन बगिया,
आलोकित हो जीवन सारा।।
बाबा-दादी, पापा-मम्मी,
सब देंगे उपहार आपको।
लेकिन हम बच्चे मिल करके,
देंगे अपना प्यार आपको।।

बूढ़ीदादी-दादा जी भी,
अपने आशीषों को देंगे।
बदले में अपनें बच्चों की,
मुस्कानों से मन भर लेंगे।।
जायेंगें बाजार आज हम,
गुब्बारे लेकर आयेंगे।
खुशी-खुशी हम पूरे घर को,
चाचा आज सजायेंगे।।
आप काटकर केक सलोना,
हमें खिलाना, खुद भी खाना।
दीर्घ आयु पाओ चाचा जी,
जन्मदिवस हर साल मनाना।।
मैं प्राची और भाई प्राञ्जल,
देते तुमको आज बधाई।
इस पावन अवसर पर,
चाची ने भी खुशियाँ खूब मनाई।।

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"चन्दा से चाँदनी का आधार माँगता हूँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Friday, June 6, 2014

मै प्यार का हूँ राही और प्यार माँगता हूँ।
मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।।
सूनी सी ये डगर हैं,
अनजान सा नगर हैं,
चन्दा से चाँदनी का आधार माँगता हूँ।
मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।।
सूरज चमक रहा है,
जग-मग दमक रहा है,
किरणों से रोशनी का संसार माँगता हूँ।
मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।।
यह प्रीत की है डोरी,
ममता की मीठी लोरी.
मैं स्नेहसिक्त पावन परिवार माँगता हूँ।
मंजिल से प्यार का ही उपहार माँगता हूँ।।

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"दोहे-छंदहीन काव्य" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Monday, May 5, 2014

लुप्त हुआ है काव्य कानभ में सूरज आज।
बिनाछन्द रचना रचेंज्यादातर कविराज।१।

जिसमें हो कुछ गेयताकाव्य उसी का नाम।
रबड़छंद का काव्य में, बोलो क्या है काम।२।

अनुच्छेद में बाँटिए, कैसा भी आलेख।
छंदहीन इस काव्य का, रूप लीजिए देख।३।

चार लाइनों में मिलेंटिप्पणियाँ चालीस।
बिनाछंद के शान्त होंमन की सारी टीस।४।

बिन मर्यादा यश मिले, गति-यति का क्या काम।
गद्यगीत को मिल गया, कविता का आयाम।५।

अपना माथा पीटता, दोहाकार मयंक।
गंगा में मिश्रित हुई, तालाबों की पंक।६।

कथा और सत्संग मेंकम ही आते लोग।
यही सोचकर हृदय काकम हो जाता रोग।७।

गीत-ग़ज़ल में चल पड़ी, फिकरेबाजी आज।
कालजयी रचना कहाँपाये आज समाज।८।

देकर सत्साहित्य कोकिया धरा को धन्य।
तुलसीसूर-कबीर सेहुए न कोई अन्य।९।

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"जिन्दादिली का प्रमाण दो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

Sunday, April 6, 2014


जिन्दा हो गर, तो जिन्दादिली का प्रमाण दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।

स्वाधीनता का पाठ पढ़ाया है राम ने,
क्यों गिड़िगिड़ा रहे हो शत्रुओं के सामने,
अपमान करने वालों को हरगिज न मान दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।

तन्द्रा में क्यों पड़े हो, हिन्द के निवासियों,
सहने का वक्त अब नही, भारत के वासियों,
सौदागरों की बात पर बिल्कुल न ध्यान दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।

कश्मीर का भू-भाग दुश्मनों से छीन लो,
कैलाश-मानसर को भी अपने अधीन लो,
चीन-पाक को नही रज-कण का दान दो।
मुर्दों की तरह, बुज-दिली के मत निशान दो।।

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"एक बरस के बाद फिर, बरसेगी रसधार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Monday, March 17, 2014

होली अब होली हुई, बीत गया त्यौहार।
एक बरस के बाद फिर, बरसेगी रसधार।।
--
कृपा करो परमात्मा, सुखी रहें नर-नार।
हँसी-खुशी के साथ में, मनें सभी त्यौहार।।
--
होली में जिस तरह से, उमड़ा प्रेम अपार।
हर दिन ऐसा ही रहे, सबके दिल में प्यार।।
--
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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"दोहे-जीवन देती धूप" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Sunday, February 23, 2014

तेज घटा जब सूर्य का, हुई लुप्त सब धूप।
वृद्धावस्था में कहाँ, यौवन जैसा रूप।।

बिना धूप के किसी का, निखरा नहीं स्वरूप।
जड़, जंगल और जीव को, जीवन देती धूप।।

सुर, नर, मुनि के ज्ञान की, जब ढल जाती धूप।
छत्र-सिंहासन के बिना, रंक कहाते भूप।।

बिना धूप के खेत में, फसल नहीं उग पाय।
शीत, ग्रीष्म, वर्षाऋतु, भुवनभास्कर लाय।।

शैल शिखर उत्तुंग पर, जब पड़ती है धूप।
हिमजल ले सरिता बहें, धर गंगा का रूप।।

नष्ट करे दुर्गन्ध को, शीलन देय हटाय।
पूर्व दिशा के द्वार पर, रोग कभी ना आय।।

खग-मृग, कोयल-काग को, सुख देती है धूप।
उपवन और बसन्त का, यह सवाँरती रूप।।

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"वृक्ष नव पल्लव को पा जाता" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Friday, February 7, 2014


पतझड़ के पश्चात वृक्ष नव पल्लव को पा जाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।

भीषण सर्दी, गर्मी का सन्देशा लेकर आती ,
गर्मी आकर वर्षाऋतु को आमन्त्रण भिजवाती,
सजा-धजा ऋतुराज प्रेम के अंकुर को उपजाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।
खेतों में गेहूँ-सरसों का सुन्दर बिछा गलीचा,
सुमनों की आभा-शोभा से पुलकित हुआ बगीचा,
गुन-गुन करके भँवरा कलियों को गुंजार सुनाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।
पेड़ नीम का आगँन में अब फिर से है गदराया,
आम और जामुन की शाखाओं पर बौर समाया.
कोकिल भी मस्ती में भरकर पंचम सुर में गाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।

परिणय और प्रणय की सरगम गूँज रहीं घाटी में,
चन्दन की सोंधी सुगन्ध आती अपनी माटी में,
भुवन भास्कर स्वर्णिम किरणें धरती पर फैलाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।
मलयानिल से पवन बसन्ती चलकर वन में आया,
फागुन में सेंमल-पलाश भी, जी भरकर मुस्काया,
निर्झर भी कल-कल, छल-छल की सुन्दर तान सुनाता।
विध्वंसों के बाद नया निर्माण सामने आता।।

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नापतोल.कॉम से कोई सामान न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....

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