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"मंगलमय नववर्ष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Monday, December 31, 2012

इतिहास बन गया, गया साल।
आया जीवन में, नया साल।।

फिर स्वप्न सलोने टूटेंगे,
कुछ मीत पुराने कुछ रूठेंगे,
लेकिन जीवन के उपवन में,
आशा के अंकुर फूटेंगे,
खुशियों का होगा फिर धमाल।
आया जीवन में, नया साल।।

अब समय सुहाना आयेगा,
सुख का सूरज मुस्कायेगा,
जब अमराई बौराएगी,
कोकिल स्वर भरकर गायेगा,
अपना उत्तर देगा सवाल।
आया जीवन में, नया साल।।

भँवरे फिर से मँडरायेंगे,
गुन-गुन गुंजार सुनायेंगे,
खिल जाएँगे फिर सरस-सुमन,
हँस-हँस मकरन्द लुटाएँगे,
दूषित नहीं होगा कोई ताल।
आया जीवन में, नया साल।।

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"सरस्वती माता का करता वन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Friday, December 28, 2012

नही जानता कैसे बन जाते हैं, मुझसे गीत-गजल।
जाने कब मन के नभ पर, छा जाते हैं गहरे बादल।।

ना कोई कापी या कागज, ना ही कलम चलाता हूँ।
खोल पेज-मेकर को, हिन्दी टंकण करता जाता हूँ।।
देख छटा बारिश की, अंगुलियाँ चलने लगतीं है।
कम्प्यूटर देखा तो उस पर, शब्द उगलने लगतीं हैं।।

नजर पड़ी टीवी पर तो, अपनी हरकत कर जातीं हैं।
चिड़िया का स्वर सुन कर, अपने करतब को दिखलातीं है।।

बस्ता और पेंसिल पर, उल्लू बन क्या-क्या रचतीं हैं।
सेल-फोन, तितली-रानी, इनके नयनों में सजतीं है।।

कौआ, भँवरा और पतंग भी इनको बहुत सुहाती हैं।
नेता जी की टोपी, श्यामल गैया, बहुत लुभाती है।।

सावन का झूला हो, चाहे होली की हों मस्त फुहारें।
जाने कैसे दिखलातीं ये, बाल-गीत के मस्त नजारे।।

मैं तो केवल जाल-जगत पर, इन्हें लगाता जाता हूँ।
क्या कुछ लिख मारा है, मुड़कर नही देख ये पाता हूँ।।

जिन देवी की कृपा हुई है, उनका करता हूँ वन्दन।
सरस्वती माता का करता, कोटि-कोटि हूँ अभिनन्दन।।

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"आज 39 साल पूरे हो गये" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Wednesday, December 5, 2012

कभी नरम-कभी गरम, 
कभी झगड़ा-कभी प्यार!

कभी इक़रार-कभी इन्कार,
कभी नखरे-कभी मनुहार!!

मूल से से मोह-ब्याज से प्यार,
यही तो है, जीवन का सार!!

चलता रहा अनवरत,
कभी न मानी हार!!

वक्त कितनी जल्दी गया गुज़र,
और कट गया जीवनसफर...!!!

आज हमारे विवाह को 39 वर्ष व्यतीत हो गये हैं।
जीवन की इस अल्पावधि में काफी उतार चढ़ाव देखे।
पिछने दो दिनों से 
अतिथि-सम्बन्धी घर में आने लगे हैं।
उनके साथ परसों नानकमत्ता साहिब गया था।
मैं तो बस फोटो ही खींचता रहा
(चित्र में- मेरे ज्येष्ठ साले इंजी. राजकुमार कश्यप,
सलहज साहिबा और मेरी श्रीमती जी)
 
नानकमत्ता साहिब में स्थित
बाउली साहिब के दृश्य!
 
ये हैं मुख्य गुरूद्वारा के दृश्य
यहाँ दूधवाला कुआँ के अमृत जल से 
आचमन भी किया।

कल हम लोग
भारत नेपाल की सीमा पर बने नगर
टनकपुर भी गये
यहाँ पर पवित्र शारदा की धारा
प्रवाहित हो रही है।
 

रास्ते में चकरपुर के जंगलों में स्थित
शिवमन्दिर "सिद्धेश्वर महादेव"
के दर्शन किये और वहाँ पूजा अर्चना भी की।

 
 
 


पहाड़ों के प्रवेशद्वार
चम्पावत जिले के नगर
टनकपुर में पहले गौमाताओं का
हुजूम लगा रहता था,
मगर हमें तो यहाँ बकरियाँ ही मिलीं
और इनके दर्शन करके कृतार्थ हो गये!

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"राजनेता से बढ़कर एक अच्छा इन्सान"

Monday, November 19, 2012

          माननीय हरीश रावत मेरे लिए कोई नया परिचय नहीं है। 35 साल से इनसे हमारा राजनीतिक रिश्ता रहा है। बात उन दिनों की है जब भारत के प्रधानमन्त्री मा. पी.वी.नरसिंहा राव थे और उन दिनों पं.नारायण दत्त तिवारी जी जी कांग्रेस से अलग होकर तिवारी कांग्रेस बना ली थी। लेकिन मैं सेवादल से जुड़ा हुआ होने के कारण मूल कांग्रेस के ही साथ रहा था। 
चुनाव नज़दीक थे और हम लोग प्रत्याशी के लिए प्रयागदत्त भट्ट के नाम की सिफारिश करने के लिए दिल्ली गये थे। उन दिनों मा. हरीश रावत जी कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और बसन्त कुंज में रहते थे।
         अपने निवास पर उन्होंने खटीमा से पधारे हमारे जत्थे को खाना खिलवाया और हमें प्रत्याशी चयन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मा. कुँवर जितेन्द्र प्रसाद जी से भी मिलवाया था। इनकी सिफारिश और हमारे अनुरोध पर प्रयागदत्त भट्ट जी को टिकट मिल भी गया था।
उसके बाद तो कितनी ही बार मैं मा. हरीश रावत जी से मिला और कई बार उनके साथ भाषण करने का सौभाग्य भी मुझे मिला।
     श्री रावत जी ने अपने राजनीतिक काल में कई बार हार और जीत का स्वाद चखा है। लेकिन कभी भी उनके चेहरे पर हताशा और निराशा को नहीं देखा।
   गत लोकसभा के चुनाव में उन्होंने हरिद्वार को अपना संसदीय क्षेत्र चुना तो हम लोग हैरत में रह गये कि पहाड़ी क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति मैदानी भाग से कैसे विजयी हो पायेगा और दबे लब्जों से उनसे कहा भी कि आपने हरिद्वार को अपना संसदीय क्षेत्र चुन कर कोई गलती तो नहीं की है। इस पर वो कुछ नहीं बोले मगर उनके चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। अन्ततः वे विजयी रहे और लोकसभा के सदस्य बन गये। अपनी साफ-सुथरी छवि के कारण ही उन्हें भारत सरकार में राज्य मन्त्री बनाया गया।
     विगत दिनों पार्टी से जुड़े कई कद्दावर राजनेताओं ने बहुत से विवादास्पद बयान भी दिये मगर हरीश रावत जी ने सदैव अपनी वाणी पर नियन्त्रण रखा और हमेशा नपातुला व सटीक ही वक्तव्य दिया। जिसके कारण उन्हें केन्द्रीय सरकार में जल संसाधन विकास मन्त्री का एक बड़ा पद मिला और मैं भी सेवादल से जुड़ा हुआ उनका पुराना साथी होने के नाते उन्हें बधाई देने पहुँच गया।

      यूँ तो मैं अपने राजनीतिक सफर में बहुत से राजनेताओं के घर पर जाकर मिला हूँ और उनकी नक्शेबाजी को भी झेला है। जहाँ पर लोग 3-4 घंटे तक किसी सरकारी मन्त्री से मिलने के लिए प्रतीक्षा करते पाये गये हैं और मन्त्री जी अन्दर आराम करते देखे गये हैं। 
दिल्ली में तीनमूर्ति लेन स्थित उनके निवास पर हमेशा ही लोगों का हुजूम रहता है। लेकिन हरीश रावत का वही पुराना अन्दाज रहा है। न कोई औपचारिकता और कोई घमण्ड आप स्वागत कक्ष में जाइए, अपना परिचय दीजिए और मा.रावत जी उनके चेम्बर में मिल लीजिए। जहाँ मान्यवर आपसे बड़ी आत्मीयता से मिलेंगे।
शनिवार 17-11-2012 को दिल्ली पहुँच कर प्रातः 9 बजे मैंने उनके कार्यालय में फोन किया कि मैं मा.रावत जी से मिलने के लिए खटीमा से आया हुआ हूँ। कार्यालय से मुझे कहा गया कि आप 12 बजे तक आ जाइए मन्त्री जी से भेंट हो जायेगी। मैं जब 11 बजे उनके निवास पर पहुँचा तो मन्त्री जी देहरादून जाने की तैयारी में थे। लेकिन व्यस्तता के क्षणों में भी वे हवाई चप्पलों को पहने हुए ही मुझसे मिलने के लिए आ गये और मुझसे गले लग कर भेंट की। इसीलिए मैं कहता हूँ कि "राजनेता से बढ़कर एक अच्छे इन्सान हैं मा.हरीश रावत जी!"

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"दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Sunday, November 11, 2012

दूर करने को अन्धेरा दीप झिलमिल जल रहे। 
स्नेह पाकर प्यार का दीपक खुशी से खिल रहे।।
दीन की कुटिया-भवन जगमग हुए आलोक से।
लग रहा मानों सितारे आ गये द्यु-लोक से।।
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!

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"मेरा सुझाव अच्छा लगे तो इस कड़वे घूँट का पान करें"

Friday, October 26, 2012

मित्रों!

    बहुत दिनों से एक विचार मन में दबा हुआ था! हमारे बहुत से मित्र अपने ब्लॉग पर या फेसबुक पर अपनी प्रविष्टि लगाते हैं। वह यह तो चाहते हैं कि लोग उनके यहाँ जाकर अपना अमूल्य समय लगा कर कोई बढ़िया सी टिप्पणी दें। इसके लिए कुछ लोग तो मेल में लिंक भेजकर या लिखित बात-चीत में भी अपने लिंक भेजते रहते हैं। अगर नकार भी दो तो वे फिर भी बार-बार अपना लिंक भेजते रहते हैं। लेकिन स्वयं किसी के यहाँ जाने की जहमत तक नहीं उठाते हैं और कुछ लोग तकनीकी का ज्ञान न होने के कारण शब्द पुष्टिकरण लगा देते हैं। जिससे टिप्पणी देने में अनावश्यक समय लगता है।लेकिन वह क्षम्य है। मगर कुछ लोग तो तकनीकी के विशेषज्ञ होकर उसका प्रदर्शन करते हैं। जहाँ टिप्पणी करने में पसीने छूट जाते हैं। पहले नाम भरो, फिर ई-मेल भरो, वेबसाइट का भी नाम देना पड़ता है, तब कहीं कमेंट लिखने की बारी आती है। मैं उनसे पूछना चाहता हूँ कि क्या यही उनका तकनीकी ज्ञान है। जबकि कमेंट करने पर टिप्पणीदाता का लिंक तो स्वतः ही आ जाता है।

उनके लिए मेरा एक सुझाव है- 

"ऐसे मित्र अपने ब्लॉग या फेसबुक के खाते पर टिप्पणी का विकल्प न लगायें। लोग आयेंगे जरूर और अच्छे मन से आपकी प्रविष्टि पढ़ेंगे और चलते बनेंगे!"

   प्रसंगवश् मुझे एक कथा याद आ रही है-

  एक महान वैज्ञानिक ने दो बिल्लियाँ पाली हुई थीं। सर्दी के मौसम में वैज्ञानिक को उन्हें अपने कमरे में ही रखना पड़ता था। लेकिन वो बिल्लियाँ रात में शौच आदि करके घर को गन्दा कर देती थीं। 

   वैज्ञानिक ने एक दिन कारपेंटर को अपने यहाँ बुलाया और कहा कि इन दो बिल्लियों को बाहर निकलने के लिए दरवाजे में दो छे्द कर दो। बड़ी बिल्ली के लिए बड़ा छेद और छोटी बिल्ली के लिए छोटा छेद।

   वैज्ञानिक की बात सुनकर कारपेंटर को हँसी आ गई। वैज्ञानिक ने उससे पूछा कि तुम मेरी बात पर हँसे क्यों?

   तब कारपेंटर ने बताया कि साहब जी मैं एक ही सूराख़ से दोनों बिल्लियों को बाहर निकाल सकता हूँ।

   वैज्ञानिक ने कहा-यह तो असम्भव है। मुझे प्रैक्टीकल करके दिखाओ।

   कारपेंटर ने दरवाजे में बड़ा सुराख करके वैज्ञानिक से कहा कि अब आ्रप दोनों बिल्लियों को अन्दर बन्द कीजिए।

    वैज्ञानिक ने जब दोनों बिल्लियों को अन्दर बन्द करके दरवाजा बन्द किया और बिल्लियों को आवाज दी तो पहले बड़ी बिल्ली और उसके बाद छोटी बिल्ली एक ही छेद से बाहर निकल गयी।

मेरा सुझाव अच्छा लगे तो इस कड़वे घूँट का पान करें। 

अन्यथा इसे गम्भीरता से न लें!

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"स्वास्थ्यवर्धक के नाम पर लूट!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

Thursday, September 27, 2012

स्वास्थ्यवर्धक के नाम पर लूट!
आदरणीय स्वामी जी!
   आपकी बात मानकर मैं स्थानीय पतंजलि क्रयकेन्द्र पर गया तो वहाँ 5 अनाजों से निर्मित स्वास्थ्यवर्धक आटो का दाम पचास रुपये किलो था। इससे मेरा माथा ठनका कि चना के छोड़कर ज्वार, बाजरा. मक्की तो गेहूँ से कम दाम वाले अनाज हैं, फिर स्वास्थ्यवर्धक के नाम से बिकने वाला आटा इतना मँहगा कैसे हो गया?
    हम लोग चक्की का पिसा शुद्ध गेहूँ का आटा 17 रु. किलो लाते हैं और ब्राण्डेड पैक आटा 18 रुपये किलो के हिसाब से मिलता है।
     मैंने बाजार से 2 किलो बाजरा 24 रुपये में, 2 किलो मक्का 24 रुपये में, 2 किलो ज्वार 20 रुपये में और दो किलो चना 90 रुपये में खरी दा और इसमें 15 रुपये किलो के भाव से 10 किलो गेहूँ 150 रुपये में खरीद कर मिलया। पिसाई के 40 रुपये भी इसमें जोड़ दे तो 20 किलो आटे का दाम 348 रुपये ही हुआ। जिसकी शुध्दता की भी गारंटी है। अर्थात यह स्वास्थ्यवर्धक आटा मुझे 17 रुपये पचास पैसे किलो पड़ा। फिर आपका यही आटा पचास रुपये किलो कैसे हो गया? क्या आम आदमी के बजट का यह आटा है? स्वास्थ्यवर्धक नाम पर 50रुपये किलो आटा बेचना तो सरासर लूट है। क्या यही स्वदेशी आन्दोलन है। यह तो वही बात हुई कि स्वदेशी पहनो और गांधी जी के नाम से चल रहे श्री गान्धी आश्रम में अपनी जेब कटावा कर घर आ जाओ।
    आप राजनीतिक दलों को भ्रष्ट करार देते हैं लेकिन नैतिकता की आड़ में आप सन्यासी होकर अन्धाधुऩ्ध कमाई करने में लगे हो।
आप भी तो जनता की भावनाओं को भुनाकर अपने बन्धु-बान्धवों को सीधे रूप में धनवान बनाने में तुले हो! फिर क्या अन्तर रह जाता है आपमें और आपके द्वारा कथित भ्रष्ट राजनेताओं में।
स्वामी जी! 
    मैं आप अपने प्रवचन में अक्सर कहते हैं कि आपने घोर गीपबी का जीवन जिया है। लेकिन अब आपके पास परोक्षरूप में अकूत सम्पत्ति है। इसका राज़ मेरी तो समझ में अब खूब आ गया है। बहुत से उद्योगों का स्वामी आपका ट्रस्ट है। विशाल और भव्य पतंजलि योग संस्थान का भवन इसका गवाह है। जहाँ अपने इलाज के लिए जाने वाले रोगियों के लिए होटलों से भी मँहगे हैं। जिनमें ठहरना आप आदमी के बस की बात नहीं है। आपने गरीवी देखी है तो गरीबों के लिए इस चिकित्सापीठ में कौन सी सुविधा प्रदत्त है। मैंने आपके चिकित्सकों और कर्मचारियों का भी व्यवहार देखा है। जहाँ आम आदमी को दुत्कार धनवानों को प्यार के अलावा कुछ भी तो नहीं है।
    अब समय आ गया है कि जनता कथित भ्रष्ट नेताओं से तो सावधान हो ही और साथ में आपके जैसे गेरुए वस्त्रधारी बाबाओं से भी सावधान रहे!

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"जन्मदिवस पर तुम्हें बधायी" बालकविता-डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Thursday, September 13, 2012


कदम-कदम पर साथ निभाती।
कार हमारी हमको भाती।।

हिन्दीदिन पर इसको लाये।
हम सब मन में थे हर्षाये।।

आज तीसरा जन्मदिवस है।
लेकिन अब भी जस की तस है।।
यह सफर की सखी-सहेली।
अब भी है ये नयी-नवेली।।

साफ-सफाई इसकी करते।
इसका ध्यान हमेशा धरते।।

सड़कों पर चलती मतवाली।
कभी न धोखा देने वाली।।

सदा सँवारो सबका जीवन।
चाहे जड़ हो या हो चेतन।।

पूरे घर को तुम हो भायी।
जन्मदिवस पर तुम्हें बधायी।

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"अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन, लखनऊ" (ढोल की पोल की रपट)

Friday, August 31, 2012

मित्रों!
     27 अगस्त को राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ में अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन का आयोजन किया गया। जिसमें अव्यवस्थाओं का अम्बार देखने को मिला। लेकिन यदि कोई खास बात थी तो वह यह थी कि आयोजकद्वय ने स्वयं को ही सम्मानित करवाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। जिसके चलते द्वितीय सत्र को कैंसिल कर दिया गया। विदित हो कि इसमें शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) मुख्य वक्तागण थे। जो इसके लिए आवश्यक तैयारी भी करके आये थे। 
       ब्लॉग विश्लेषक  से मैं यह प्रश्न तो कर ही सकता हूँ कि बाबुषा कोहलीGoogleProfilehttps://profiles.google.com/baabusha बाबुषा कोहली Educationist - KVS - Jabalpur) को लंदन की क्यों घोषित कर किया गया? उन्हें तो यह पता ही होना चाहिए कि ये जबलपुर के केन्दीय विद्यालय में अध्यापिक के रूप में कार्यरत हैं। 
         अब बात करता हूँ- तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011 की जिसमें डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार और नीरज जाट, दिल्ली   (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत) के रूप में सम्मानित होने थे। मगर इनका नाम केवल ब्लॉग की पोस्टों में प्रकाशित करने के लिए ही था। संचालक ने इन दो नामों को लिएबिना ही सम्मान-समारोह को समाप्त करने की घोषणा कर दी। तब हमने एक जिम्मेदार आयोजक से जाने की अनुमति चाही तो उन्होंने कहा कि थोडी देर और बैठते। 
       इसपर मैंने कहा कि सम्मान समारोह तो समाप्त हो गया है अब बैठने का क्या लाभ? तब आनन-फानन में बन्द पेटी को खोला गया और दो कोरे सम्मान पत्रों पर जैसे-तैसे नीरज जाट का और मेरा नाम लिखा गया। लेकिन तब तक अधिकांश लोग हाल से बाहर जा चुके थे। 
       मेरा नाम पुकारा गया तो मैं सम्मान लेने के लिए अपनी सीट से उठा ही नहीं इस पर रणधीर सिंह सुमन ने आग्रह करके मुझे बुलाया। सम्मान की तो कोई लालसा मैंने कभी भी नहीं की है क्योंकि माँ शारदा की कृपा से मैं साहित्यकारों को सम्मानित करने में स्वयं ही सक्षम रहा हूँ। इस पर प्रश्न उठता है कि ऐसी भारी चूक कैसे हो गई आयोजकद्वय से।
खैर इस बात को यदि नजरअंदाज कर भी दिया जाए तो सम्मान समारोह को दो चरणों में कराने का क्या औचित्य और मंशा आयोजकद्वय का रहा होगा मेरी समझ में यह बात अभी तक नहीं आ सकी है। मैं सीधे ही आरोप लगाता हूँ कि जिसमें आयोजक द्वय को सम्मानित होना था उसे कार्यक्रम के प्रथम सत्र में अंजाम दिया गया और पूड़ी-सब्जी खाने के लिए दूर-दूर से आने वाले ब्लॉगरों को उस   समय सम्मानित किया गया जब कि अधिकांश ब्लॉगर अपने गन्तव्य को जा चुके थे। फिर मीडिया भला क्यों ठहरती और इन सम्मानित हुए ब्लॉगरों का नाम किसी पन्ने पर खबर का रूप कैसे लेता?
अपने जीवन काल में मैंने यह इकलौता कार्यक्रम ही देखा जिसका नाम सम्मान समारोह था जिसमें सम्मानदाताओं का नाम तो सुर्खियों में था मगर सम्मान लेने वालों का नाम किसी भी अखबार या मीडियाचैनल में नदारत था। हाँ, उनका नाम जरूर था जिसमें आयोजकद्वय सम्मानित हुए थे।
अब अगर व्यवस्था की बात करें तो मैंने समारोह से 8 दिन पूर्व एक मेल आदरणीय रवीन्द्र प्रभात जी को किया था-“
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक 
19 अगस्त (12 दिनों पहले) ravindra
 27 अगस्त के कार्यक्रम में जो ब्लॉगर्स आयेंगे, उनके विश्राम, स्नानादि की व्यवस्था कहाँ पर होगी?
       लेकिन इसका उत्तर देना इन्होंने मुनासिब ही नहीं समझा। 
      यहाँ मैं यह भी स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि मेरे तो बड़े पुत्र की ससुराल भी लखनऊ में ही है, इसलिए मेरे लिए तो कोई समस्या थी ही नहीं मगर उन ब्लॉगरों का क्या हुआ होगा जो कि सुदूर स्थानों से बड़े अरमान मन में लिए हुए इस कार्यक्रम में पधारे थे। 
        मेरे मित्र आ.धीरेन्द्र भदौरिया चारबाग रेलवे स्टेशन की डारमेट्री में रुके थे और रविकर जी अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ ठहरे थे। सबके मन में यही टीस थी कि दूर-दराज से ब्लॉगर आये हैं जो यह अपेक्षा करते थे कि रात्रि में एक अनौपचारिक गोष्ठि करते और अपने साथियों की सुनते और अपनी कहते।
        अब इन दो प्रमाणपत्रों की विसंगति भी देख लीजिए..!
और ये हैं 
सम्मानित होते हुए 
आयोजकद्वय..! 

मेरे तथ्यों की पुष्टि नीचे दिया गया आमन्त्रण करता है।
आमंत्रण : अंतर्राष्ट्रीय हिंदी ब्लॉगर सम्मलेन
संभावित कार्य विवरण
अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन
एवं परिकल्पना सम्मान समारोह
(दिनांक : 27 अगस्त 2012,
स्थान : राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह, क़ैसरबाग, लखनऊ )
प्रात: 11.00 से 12.00 उदघाटन सत्र
उदघाटनकर्ता : श्री श्रीप्रकाश जायसवाल, केंद्रीय कोयला मंत्री, दिल्ली भारत सरकार
अध्यक्षता : श्री शैलेंद्र सागर, संपादक : कथा क्रम, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री उद्भ्रांत, वरिष्ठ साहित्यकार, दिल्ली
विशिष्ट अतिथि : श्री के. विक्रम राव, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
: श्री समीर लाल समीर, टोरंटो कनाडा
: श्री मती शिखा वार्ष्नेय, स्वतंत्र पत्रकार और न्यू मीडिया कर्मी, लंदन
: श्री प्रेम जनमेजय, वरिष्ठ व्यंग्यकार, दिल्ली
: श्री मती राजेश कुमारी, वरिष्ठ ब्लॉगर, देहरादून
स्वागत भाषण : डॉ ज़ाकिर अली रजनीश, महामंत्री तस्लीम, लखनऊ
धन्यवाद ज्ञापन : रवीन्द्र प्रभात, संचालक : परिकल्पना न्यू मीडिया विशेषज्ञ, लखनऊ
संचालन : प्रो मनोज दीक्षित, अध्यक्ष, डिपार्टमेन्ट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन,एल यू ।
विशेष : वटवृक्ष पत्रिका के ब्लॉगर दशक विशेषांक का लोकार्पण तथा दशक के हिन्दी ब्लोगर्स का सारस्वत सम्मान ।
12.00 से 1.30 चर्चा सत्र प्रथम : न्यू मीडिया की भाषायी चुनौतियाँ
अध्यक्षता : डॉ सुभाष राय, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री मति पूर्णिमा वर्मन, संपादक : अभिव्यक्ति, शरजाह, यू ए ई
विशिष्ट अतिथि : श्री रवि रतलामी, वरिष्ठ ब्लॉगर, भोपाल
सुश्री वाबुशा कोहली, लंदन, युनाईटेड किंगडम
डॉ रामा द्विवेदी, वरिष्ठ कवयित्री, हैदराबाद
डॉ अरविंद मिश्र, वरिष्ठ ब्लॉगर, वाराणसी
डॉ अनीता मन्ना, प्राचार्या, कल्याण (महाराष्ट्र)
आमंत्रित वक्ता : हेमेन्द्र तोमर, पूर्व अध्यक्ष लखनऊ पत्रकार संघ, डॉ ए. के. सिंह, अध्यक्ष, इंस्टीट्यूट ऑफ जर्नलिज़्म एंड मास कम्यूनिकेशन, कानपुर, शहंशाह आलम, चर्चित कवि, पटना (बिहार)एवं अरविंद श्रीवास्तव, वरिष्ठ युवा साहित्यकार, मधेपुरा (बिहार) और सुनीता सानू, दिल्ली ।
संचालक : डॉ. मनीष मिश्र, विभागाध्यक्ष, हिन्दी, के एम अग्रवाल कौलेज, कल्याण (महाराष्ट्र)।
विशेष : साहित्यकार सम्मान समारोह (प्रबलेस और लोकसंघर्ष पत्रिका द्वारा) ।
अपराहन 1.30 से 2.30 : दोपहर का भोजन
अपराहन 2.30 से 3.30 : चर्चा सत्र द्वितीय : न्यू मीडिया के सामाजिक सरोकार
अध्यक्षता : श्री मती इस्मत जैदी, वरिष्ठ गजलकार, पणजी (गोवा)
मुख्य अतिथि : श्री कृष्ण कुमार यादव, निदेशक डाक सेवाएँ, इलाहाबाद
विशिष्ट अतिथि : श्री मती रंजना रंजू भाटिया, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री गिरीश पंकज, वरिष्ठ व्यंग्यकार, रायपुर (छतीसगढ़)
श्री मती संगीता पुरी, वरिष्ठ ब्लॉगर, धनबाद (झारखंड)
सुश्री रचना, दिल्ली
श्री पवन कुमार सिंह, जिलाधिकारी, चंदौली (उ. प्र.)
मुख्य वक्ता : शेफाली पांडे, हल्द्वानी (उत्तराखंड), निर्मल गुप्त, मेरठ, संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, रतन सिंह शेखावत, जयपुर,सुनीता सानू, दिल्ली और सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड)
संचालक : डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली
विशेष: ब्लॉगरों को नुक्कड़ सम्मान
अपराहन 3.30 से 4.00 : चाय एवं सूक्ष्म जलपान
शाम 4.00 से 6.00 : चर्चा सत्र तृतीय : न्यू मीडिया दशा, दिशा और दृष्टि
अध्यक्षता : श्री मुद्रा राक्षस, वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ
मुख्य अतिथि : श्री वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ आलोचक, लखनऊ
विशिष्ट अतिथि : श्री राकेश, वरिष्ठ रंगकर्मी, लखनऊ
श्री शिवमूर्ति, वरिष्ठ कथाकार, लखनऊ
श्री शकील सिद्दीकी, सदस्य प्रगतिशील लेखक संघ, उत्तरप्रदेश इकाई
श्री अविनाश वाचस्पति, वरिष्ठ ब्लॉगर, दिल्ली
श्री नीरज रोहिल्ला, टेक्सास (अमेरिका)
मुख्य वक्ता : शैलेश भारत वासी, दिल्ली,मुकेश कुमार तिवारी, इंदोर (म प्र), दिनेश गुप्ता (रविकर), धनबाद, अर्चना चव जी,इंदोर, श्री श्रीश शर्मा, यमुना नगर (हरियाणा), डॉ प्रीत अरोड़ा, चंडीगढ़, आकांक्षा यादव, इलाहाबाद ।
संचालक : डॉ विनय दास, चर्चित समीक्षक, बाराबंकी ।
धन्यवाद ज्ञापन : एडवोकेट रणधीर सिंह सुमन, प्रबंध संपादक लोकसंघर्ष और वटवृक्ष पत्रिका ।
विशेष : परिकल्पना सम्मान समारोह ।
अन्य आमंत्रित अतिथि : सर्वश्री रूप चन्द्र शास्त्री मयंक (उत्तराखंड),दिनेश माली(उड़ीसा), अलका सैनी (चंडीगढ़), हरे प्रकाश उपाध्याय (लखनऊ), गिरीश बिल्लोरे मुकुल (जबलपुर) ,कनिष्क कश्यप (दिल्ली),डॉ जय प्रकाश तिवारी(छतीसगढ़), राहुल सिंह (छतीसगढ़) ,नवीन प्रकाश(छतीसगढ़), बी एस पावला(छतीसगढ़), रविन्‍द्र पुंज (हरियाणा), दर्शन बवेजा(हरियाणा), श्रीश शर्मा(हरियाणा), संजीव चौहान(हरियाणा), डा0 प्रवीण चोपडा(हरियाणा), मुकेश कुमार सिन्हा(झारखण्ड), शैलेश भारतवासी(दिल्ली), पवन चन्दन(दिल्ली), शाहनवाज़(दिल्ली),नीरज जाट (दिल्ली),कुमार राधारमण (दिल्ली), अजय कुमार झा (दिल्ली), सुमित प्रताप सिंह (दिल्ली), रतन सिंह शेखावत(राजस्थान,मनोज कुमार पाण्डेय(बिहार), शहंशाह आलम(बिहार), सिद्धेश्वर सिंह (उतराखंड),निर्मल गुप्त(मेरठ),संतोष त्रिवेदी (रायबरेली), कुमारेन्द्र सिंह सेंगर, शिवम मिश्रा(मैनपुरी),कुवर कुसुमेश (लखनऊ), डॉ श्याम गुप्त (लखनऊ), हरीश सिंह (भदोही)    आदि ।
द्रष्टव्य : इस अवसर पर अल्का सैनी का कहानी संग्रह लाक्षागृह और डॉ मनीष कुमार मिश्र द्वारा संपादित न्यू मीडिया से संबंधित सद्य: प्रकाशित पुस्तक का लोकार्पण भी होगा ।
शाम 6.00 से 7.00 : सांस्कृतिक कार्यक्रम/
तत्पश्चात समापन
तस्लीम परिकल्पना सम्मान-2011
मुकेश कुमार सिन्हा, देवघर, झारखंड ( वर्ष के श्रेष्ठ युवा कवि) , संतोष त्रिवेदी, रायबरेली, उत्तर प्रदेश (वर्ष के उदीयमान ब्लॉगर), प्रेम जनमेजय, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ व्यंग्यकार ),राजेश कुमारी, देहरादून, उत्तराखंड (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, यात्रा वृतांत ), नवीन प्रकाश,रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के युवा तकनीकी ब्लॉगर),अनीता मन्ना,कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),डॉ. मनीष मिश्र, कल्याण (महाराष्ट्र) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग सेमिनार के आयोजक),सीमा सहगल(रीवा,मध्यप्रदेश) रू रश्मि प्रभा ( वर्ष की श्रेष्ठ टिप्पणीकार, महिला ), शाहनवाज,दिल्ली (वर्ष के चर्चित ब्लॉगर, पुरुष ), डॉ जय प्रकाश तिवारी (वर्ष के यशस्वी ब्लॉगर), नीरज जाट, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, यात्रा वृतांत),गिरीश बिल्लोरे मुकुल,जबलपुर (मध्यप्रदेश) (वर्ष के श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर), दर्शन लाल बवेजा,यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के श्रेष्ठ विज्ञान कथा लेखक),शिखा वार्ष्णेय, लंदन ( वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, संस्मरण), इस्मत जैदी,पणजी (गोवा) (वर्ष का श्रेष्ठ गजलकार),राहुल सिंह, रायपुर, छतीसगढ़ (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग विचारक),बाबूशा कोहली, लंदन (यूनाइटेड किंगडम) (वर्ष की श्रेष्ठ कवयित्री ), रंजना (रंजू) भाटिया,दिल्ली (वर्ष की चर्चित ब्लॉगर, महिला),सिद्धेश्वर सिंह, खटीमा (उत्तराखंड) (वर्ष के श्रेष्ठ अनुवादक), कैलाश चन्द्र शर्मा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ वाल कथा लेखक ),धीरेंद्र सिंह   भदौरोया (वर्ष के श्रेष्ठ टिप्पणीकार, पुरुष),शैलेश भारतवासी, दिल्ली (वर्ष के तकनीकी ब्लॉगर),अरविंद श्रीवास्तव, मधेपुरा (बिहार) (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक),अजय कुमार झा, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग खबरी),सुमित प्रताप सिंह, दिल्ली (वर्ष के श्रेष्ठ युवा व्यंग्यकार),रविन्द्र   पुंज, यमुना नगर (हरियाणा) (वर्ष के नवोदित ब्लॉगर), अर्चना चाव जी, इंदोर (एम पी) (वर्ष की श्रेष्ठ वायस ब्लॉगर),पल्लवी सक्सेना,भोपाल (वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, सकारात्मक पोस्ट) ,अपराजिता कल्याणी, पुणे (वर्ष की श्रेष्ठ युवा कवयित्री ),चंडी दत्त शुक्ल, जयपुर (वर्ष के श्रेष्ठ लेखक, कथा कहानी ),दिनेश कुमार माली,बलराजपुर (उड़ीसा) वर्ष के श्रेष्ठ लेखक (संस्मरण ), डॉ रूप चंद शास्त्री मयंक (खटीमा) वर्ष के श्रेष्ठ गीतकार, सुधा भार्गव,वर्ष की श्रेष्ठ लेखिका, डॉ हरीश अरोड़ा, दिल्ली      ( वर्ष के श्रेष्ठ ब्लॉग समीक्षक ) आदि..!

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नापतोल.कॉम से कोई सामान न खरीदें।

मैंने Napptol.com को Order number- 5642977
order date- 23-12-1012 को xelectron resistive SIM calling tablet WS777 का आर्डर किया था। जिसकी डिलीवरी मुझे Delivery date- 11-01-2013 को प्राप्त हुई। इस टैब-पी.सी में मुझे निम्न कमियाँ मिली-
1- Camera is not working.
2- U-Tube is not working.
3- Skype is not working.
4- Google Map is not working.
5- Navigation is not working.
6- in this product found only one camera. Back side camera is not in this product. but product advertisement says this product has 2 cameras.
7- Wi-Fi singals quality is very poor.
8- The battery charger of this product (xelectron resistive SIM calling tablet WS777) has stopped work dated 12-01-2013 3p.m. 9- So this product is useless to me.
10- Napptol.com cheating me.
विनीत जी!!
आपने मेरी शिकायत पर करोई ध्यान नहीं दिया!
नापतोल के विश्वास पर मैंने यह टैबलेट पी.सी. आपके चैनल से खरीदा था!
मैंने इस पर एक आलेख अपने ब्लॉग "धरा के रंग" पर लगाया था!

"नापतोलडॉटकॉम से कोई सामान न खरीदें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

जिस पर मुझे कई कमेंट मिले हैं, जिनमें से एक यह भी है-
Sriprakash Dimri – (January 22, 2013 at 5:39 PM)

शास्त्री जी हमने भी धर्मपत्नी जी के चेतावनी देने के बाद भी
नापतोल डाट काम से कार के लिए वैक्यूम क्लीनर ऑनलाइन शापिंग से खरीदा ...
जो की कभी भी नहीं चला ....ईमेल से इनके फोरम में शिकायत करना के बाद भी कोई परिणाम नहीं निकला ..
.हंसी का पात्र बना ..अर्थ हानि के बाद भी आधुनिक नहीं आलसी कहलाया .....

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