कविता :"आंबेडकर जयंती "
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*"आंबेडकर जयंती "*
जिस जगह से मैं गुजरूं ,
वह जगह अपवित्र हो जाता |
जिस कुंआ का पानी मैं पिया ,
वह कुंआ का पानी अपवित्र हो जाता |
हर कदम और हर जगह पर ,
छु...
1 hour ago
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