"गीत-फिर से चमकेगा गगन-भाल" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Sunday, December 28, 2014
फिर से चमकेगा गगन-भाल।
आने वाला है नया साल।।
आशाएँ सरसती हैं मन में,
खुशियाँ बरसेंगी आँगन में,
सुधरेंगें बिगड़े हुए हाल।
आने वाला है नया साल।।
होंगी सब दूर विफलताएँ,
आयेंगी नई सफलताएँ,
जन्मेंगे फिर से पाल-बाल।
आने वाला है नया साल।।
सिक्कों में नहीं बिकेंगे मन,
सत्ता ढोयेंगे पावन जन,
अब नहीं चलेंगी वक्र-चाल।
आने वाला है नया साल।।
हठयोगी, पण्डे और ग्रन्थी,
हिन्दू-मुस्लिम, कट्टरपन्थी,
अब नहीं बुनेंगे धर्म-जाल।
आने वाला है नया साल।।
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