कविता: "नींद आ रहा था"
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* "नींद आ रहा था"*
मन की गहरी छत में किताब लिए पढ़ रहा था।
खोया मेरा नाजुक दिल , खली,
और रुवासा चेहरा मी साथ था।
आगे के प्रश्न धुंधली और कठिनाई से उभर रहा थ...
1 day ago
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