बाल कविता "खरबूजों का मौसम आया" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Friday, May 20, 2016
मित्रों...!
गर्मी अपने पूरे यौवन पर है। ऐसे में मेरी यह बालरचना आपको जरूर सुकून देगी! ![]() पिकनिक करने का मन आया!
मोटर में सबको बैठाया!!
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पहुँच गये जब नदी किनारे!
खरबूजे के खेत निहारे!!
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ककड़ी, खीरा और तरबूजे!
कच्चे-पक्के थे खरबूजे!!
प्राची, किट्टू और प्रांजल!
करते थे जंगल में मंगल!!
लो मैं पेटी में भर लाया!
खरबूजों का मौसम आया!!
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देख पेड़ की शीतल छाया!
हमने आसन वहाँ बिछाया!!
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जम करके खरबूजे खाये!
शाम हुई घर वापिस आये!!
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