कविता: "वो आखरी घर"
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*"वो आखरी घर" *
गाँव का वो आखरी घर
जहाँ खामोशी, हमेशा बरकरार है
किस खौफनाक मंज़र मे है
जहाँ बस अजीब सी नजरे हट गई
खुशियों की लड़ी गायब हो गई
बसेरा बन गया...
1 day ago
"हिन्दी व्यञ्जनावली-टवर्ग"
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"ट"
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"ट" से टहनी और टमाटर!
अंग्रेजी भाषा है टर-टर!
हिन्दी वैज्ञानिक भाषा है,
सम्बोधन में होता आदर!!
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"ठ"
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"ठ" से ठेंगा और ठठेरा!
दुनिया में ठलुओं का डेरा!
ठग लोगों को बहकाता है,
तोड़ डालना इसका घेरा!!
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"ड"
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"ड" से बनता डम्बल-डण्डा!
डलिया में मत रखना अण्डा!
रूखी-सूखी को खाकर के,
पानी पीना ठण्डा-ठण्डा!!
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"ढ"
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"ढ" से ढक्कन ढककर रखना!
ढके हुए ही फल को चखना!
मनमाने मत ढोल बजाना,
सच्चाई को सदा परखना!!
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"ण"
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"ड" को बोलो नाक बन्दकर!
मुख से "ण" का निकलेगा स्वर!
झण्डे-डण्डे में आधा “ण”,
सदा लगाना होता हितकर!!
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♥ व्यञ्जनावली-कवर्ग ♥
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"क"
"क" से कलम हाथ में लेकर!
लिख सकते हैं कमल-कबूतर!!
"क" पहला व्यञ्जन हिन्दी का,
भूल न जाना इसे मित्रवर!!
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"ख"
"ख" से खम्बा और खलिहान!
खेत जोतता श्रमिक किसान!!
"ख" से खरहा और खरगोश,
झाड़ी जिसका विमल वितान!!
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"ग"
"ग" से गङ्गा, गहरी धारा!
गधा भार ढोता बेचारा!!
"ग" से गमला घर में लाओ,
फूल उगाओ इसमें प्यारा!!
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"घ"
"घ" से घण्टा-घर-घड़ियाल!
घड़ी देख कर समय निकाल!!
"घ" से घड़ा भरो पानी से,
जल पी कर हो जाओ निहाल!!
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"ङ"
"ग" को नाक बन्द कर बोलो!
अब अपने मुँह को तुम खोलो!!
"ङ" का उच्चारण गूँजेगा,
कानों में मिश्री सी घोलो!!
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