"लोग पुराने अच्छे लगते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
Saturday, April 20, 2013
गीत पुराने, नये तराने अच्छे लगते हैं। हमको अब भी लोग पुराने अच्छे लगते हैं। जब भी मन ने आँखे खोली, उनका दर्शन पाया, देखी जब-जब सूरत भोली, तब-तब मन हर्षाया, स्वप्न सुहाने, सुर पहचाने अच्छे लगते हैं, मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं। रात-चाँदनी, हँसता-चन्दा, तारे बहुत रुलाते, किसी पुराने साथी की वो, बरबस याद दिलाते, उनके गाने, नये ठिकाने अच्छे लगते हैं। मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।। घाटी-पर्वत, झरने झर-झर, अभिनव राग सुनाते, पवन-बसन्ती, रिम-झिम बून्दें, मन में आग लगाते, देश अजाने, लोग बिराने अच्छे लगते हैं। मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।। |
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