"लोग पुराने अच्छे लगते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
Saturday, April 20, 2013
गीत पुराने, नये तराने अच्छे लगते हैं। हमको अब भी लोग पुराने अच्छे लगते हैं। जब भी मन ने आँखे खोली, उनका दर्शन पाया, देखी जब-जब सूरत भोली, तब-तब मन हर्षाया, स्वप्न सुहाने, सुर पहचाने अच्छे लगते हैं, मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं। रात-चाँदनी, हँसता-चन्दा, तारे बहुत रुलाते, किसी पुराने साथी की वो, बरबस याद दिलाते, उनके गाने, नये ठिकाने अच्छे लगते हैं। मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।। घाटी-पर्वत, झरने झर-झर, अभिनव राग सुनाते, पवन-बसन्ती, रिम-झिम बून्दें, मन में आग लगाते, देश अजाने, लोग बिराने अच्छे लगते हैं। मीत पुराने, नये-जमाने अच्छे लगते हैं।। |
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11 comments:
भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी नारी का ये भी रूप -लघु कथा .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-2
दिल्ली की जघन्य अपराध पूर्ण घटना के लिये कष्टमय खेद के साथ-
आत्माभिव्यंजना तथा छायावाद के समन्वय से युक्त रचना के लिये साधुवाद !साधुवाद !!
दिल्ली की जघन्य अपराध पूर्ण घटना के लिये कष्टमय खेद के साथ-
आत्माभिव्यंजना तथा छायावाद के समन्वय से युक्त रचना के लिये साधुवाद !साधुवाद !!
बहुत सुंदर !
आज के हालात देखकर तो बीता कल बीते लोग ही याद आते हैं ।
पुराने सच्चे निष्कपट दिल के लोग ही अच्छे लगता हैं
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बहुत खूब |
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Tamasha-E-Zindagi
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भावपूर्ण
सुंदर गेयता, मनोहर भाव, मधुर गीत...
शास्त्री जी,
बिल्कुल सही कहा आपने.....पुरातन की बात ही कुछ और है ।
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