कविता: "मस्त मगन मेरी भी जिंदगी थी "
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* "मस्त मगन मेरी भी जिंदगी थी "*
मस्त मगन मेरी भी जिंदगी थी।
न जाने कहा से दुखो का पहाड़ टूट पड़ा,
जीना कर रखा है मुश्किल अब मेरा
क्या करे कुछ समझ नहीं आए र...
21 hours ago