कविता : "संघर्ष "
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* "संघर्ष "*
देखो है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध |
लोगो में थे आपसी संबंध,
न थी एक-दूसरे के प्रति घमंड |
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब,
मुशीब...
5 days ago
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2 comments:
बधाई :-)
बधाई
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