"झंझावात बहुत फैले हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Wednesday, August 7, 2013
मेरे गीत को सुनिए-
अर्चना चावजी के मधुर स्वर में!
"झंझावात बहुत फैले हैं" सुख के बादल कभी न बरसे,
दुख-सन्ताप बहुत झेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
अनजाने से अपने लगते,
बेगाने से सपने लगते,
जिनको पाक-साफ समझा था, उनके ही अन्तस् मैले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
बन्धक आजादी खादी में,
संसद शामिल बर्बादी में,
बलिदानों की बलिवेदी पर,
लगते कहीं नही मेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
ज्ञानी है मूरख से हारा,
दूषित है गंगा की धारा,
टिम-टिम करते गुरू गगन में,
चाँद बने बैठे चेले हैं!
जीवन की आपाधापी में,
झंझावात बहुत फैले हैं!!
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6 comments:
jaise sunder shabd......vaisi hi madhur-meethi aawaz......wah.
जिन्दंगी के झंझावात की सार्थक प्रस्तुति ...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
latest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
सटीक !
वाकई बहुत फैल गये हैं !
सुन्दर प्रस्तुति
झंझावातों से इंसान कब बचा है । सार्थक और सुंदर प्रस्तुति।
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