कविता: "तेरे साथ"
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* "तेरे साथ"*
क्या ये आसान होता की हम ,
आग पानी व् हवा को महसूस व जान पाते ?
गगन की उचाइयो ,
सगरो की गेहराई .
हम कैसे नाप पते ?
पृथ्वी की विशाल भुला को ,
एक...
39 minutes ago
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3 comments:
सुंदर
ग खूबशूरत अहसाह ,बहुत सुन्दर रचना
बहुत अच्छी रचना...
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