"गज़ल-अब "रूप" राम का उभरा है" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Friday, July 11, 2014
नजरों से गिराने की ख़ातिर, पलकों पे सजाये जाते हैं।
मतलब के लिए इस दुनिया में, किरदार बनाये जाते हैं।।
जनता ने चुना नहीं जिनको, वो चोर द्वार से आ पहुँचे,
भारत में कुछ ऐसे वज़ीर, हर बनाये जाते हैं।
ढका हुआ भाषण से ही, ये लोकतन्त्र का चेहरा है
लोगों को सुनहरी-ख्वाब यहाँ, हर बार दिखाये जाते हैं।
संकर नसलें-संकर फसलें, जब से आई हैं भारत में,
निर्धन बेटों की भूमि पर, वो महल बनाये जाते हैं।
गांधी बाबा के खादर में, अब "रूप" राम का उभरा है
भगवा चोला धारण करके, धन-माल कमाये जाते हैं।
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8 comments:
एकदम सच्ची बात ! बढ़िया !
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
बहुत बढ़िया प्रस्तुति-
सही बात है !
चौथी लाईन में बार छूट गया ।
बहुत सुंदर ।
सुन्दर अभिव्यक्ति
गांधी बाबा के खादर में,अब"रूप" राम का उभरा है
भगवा चोला धारण करके, धन-माल कमाये जाते हैं।
बहुत बढ़िया ...
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