कविता :"गुमसुम परिंदा "
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*"गुमसुम परिंदा "*
सोए हुए गुमसुम परिंदा,
अब जाग जाओ तुम|
देखो विपत्तियों का गठर लदा हुआ है,
हर एक उम्मीदों पर|
अब जरा एक झलक देख लो,
अपने अंदर की आत्मा को...
1 week ago
होली का त्यौहार
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फागुन में अच्छी लगें, रंगों की बौछार।
सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्यौहार।।
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शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार।
प्यार बाँटने आ गया, होली का त्यौहार।।
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पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार।
सीख सिखाता है यही, होली का त्यौहार।।
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रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहार।
भेद-भाव को मेटता, होली का त्यौहार।।
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तन-मन को निर्मल करे, रंग-बिरंगी धार।
लाया नव-उल्लास को, होली का त्यौहार।।
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भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार।
देता है सन्देश यह, होली का त्यौहार।।
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छोटी-मोटी बात पर, मत करना तकरार।
हँसी-ठिठोली से भरा, होली का त्यौहार।।
-- सरस्वती माँ की रहे, सब पर कृपा अपार। हास्य-व्यंग्य अनुरक्त हो, होली का त्यौहार।। |
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