"मंगलमय नववर्ष" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Monday, December 31, 2012
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इतिहास बन गया, गया साल।
आया जीवन में, नया साल।।
फिर स्वप्न सलोने टूटेंगे,
कुछ मीत पुराने कुछ रूठेंगे,
लेकिन जीवन के उपवन में,
आशा के अंकुर फूटेंगे,
खुशियों का होगा फिर धमाल।
आया जीवन में, नया साल।।
अब समय सुहाना आयेगा,
सुख का सूरज मुस्कायेगा,
जब अमराई बौराएगी,
कोकिल स्वर भरकर गायेगा,
अपना उत्तर देगा सवाल।
आया जीवन में, नया साल।।
भँवरे फिर से मँडरायेंगे,
गुन-गुन गुंजार सुनायेंगे,
खिल जाएँगे फिर सरस-सुमन,
हँस-हँस मकरन्द लुटाएँगे,
दूषित नहीं होगा कोई ताल।
आया जीवन में, नया साल।।
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