" गगन में छा गये बादल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Friday, June 22, 2012
"बादल" शीर्षक से यह गीत लिखा था। इसे मैं अपनी आवाज में प्रस्तुत कर रही हूँ- श्रीमती अमर भारती बड़ी हसरत दिलों में थी, गगन में छा गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।। गरज के साथ आयें हैं, बरस कर आज जायेंगे, सुहानी चल रही पुरवा, सभी को भा गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।। धरा में जो दरारें थी, मिटी बारिश की बून्दों से, किसानों के मुखौटो पर, खुशी चमका गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।। पवन में मस्त होकर, धान लहराते फुहारों में, पहाड़ों से उतर कर, मेह को बरसा गये बादल। हमारे गाँव में भी आज, चल कर आ गये बादल।। |