"राजनेता से बढ़कर एक अच्छा इन्सान"
Monday, November 19, 2012
माननीय हरीश रावत मेरे लिए कोई नया परिचय नहीं है। 35 साल से इनसे हमारा राजनीतिक रिश्ता रहा है। बात उन दिनों की है जब भारत के प्रधानमन्त्री मा. पी.वी.नरसिंहा राव थे और उन दिनों पं.नारायण दत्त तिवारी जी जी कांग्रेस से अलग होकर तिवारी कांग्रेस बना ली थी। लेकिन मैं सेवादल से जुड़ा हुआ होने के कारण मूल कांग्रेस के ही साथ रहा था।
चुनाव नज़दीक थे और हम लोग प्रत्याशी के लिए प्रयागदत्त भट्ट के नाम की सिफारिश करने के लिए दिल्ली गये थे। उन दिनों मा. हरीश रावत जी कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे और बसन्त कुंज में रहते थे।
अपने निवास पर उन्होंने खटीमा से पधारे हमारे जत्थे को खाना खिलवाया और हमें प्रत्याशी चयन समिति के तत्कालीन अध्यक्ष मा. कुँवर जितेन्द्र प्रसाद जी से भी मिलवाया था। इनकी सिफारिश और हमारे अनुरोध पर प्रयागदत्त भट्ट जी को टिकट मिल भी गया था।
उसके बाद तो कितनी ही बार मैं मा. हरीश रावत जी से मिला और कई बार उनके साथ भाषण करने का सौभाग्य भी मुझे मिला।
श्री रावत जी ने अपने राजनीतिक काल में कई बार हार और जीत का स्वाद चखा है। लेकिन कभी भी उनके चेहरे पर हताशा और निराशा को नहीं देखा।
गत लोकसभा के चुनाव में उन्होंने हरिद्वार को अपना संसदीय क्षेत्र चुना तो हम लोग हैरत में रह गये कि पहाड़ी क्षेत्र का रहने वाला व्यक्ति मैदानी भाग से कैसे विजयी हो पायेगा और दबे लब्जों से उनसे कहा भी कि आपने हरिद्वार को अपना संसदीय क्षेत्र चुन कर कोई गलती तो नहीं की है। इस पर वो कुछ नहीं बोले मगर उनके चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। अन्ततः वे विजयी रहे और लोकसभा के सदस्य बन गये। अपनी साफ-सुथरी छवि के कारण ही उन्हें भारत सरकार में राज्य मन्त्री बनाया गया।
विगत दिनों पार्टी से जुड़े कई कद्दावर राजनेताओं ने बहुत से विवादास्पद बयान भी दिये मगर हरीश रावत जी ने सदैव अपनी वाणी पर नियन्त्रण रखा और हमेशा नपातुला व सटीक ही वक्तव्य दिया। जिसके कारण उन्हें केन्द्रीय सरकार में जल संसाधन विकास मन्त्री का एक बड़ा पद मिला और मैं भी सेवादल से जुड़ा हुआ उनका पुराना साथी होने के नाते उन्हें बधाई देने पहुँच गया।
यूँ तो मैं अपने राजनीतिक सफर में बहुत से राजनेताओं के घर पर जाकर मिला हूँ और उनकी नक्शेबाजी को भी झेला है। जहाँ पर लोग 3-4 घंटे तक किसी सरकारी मन्त्री से मिलने के लिए प्रतीक्षा करते पाये गये हैं और मन्त्री जी अन्दर आराम करते देखे गये हैं।
दिल्ली में तीनमूर्ति लेन स्थित उनके निवास पर हमेशा ही लोगों का हुजूम रहता है। लेकिन हरीश रावत का वही पुराना अन्दाज रहा है। न कोई औपचारिकता और कोई घमण्ड आप स्वागत कक्ष में जाइए, अपना परिचय दीजिए और मा.रावत जी उनके चेम्बर में मिल लीजिए। जहाँ मान्यवर आपसे बड़ी आत्मीयता से मिलेंगे।
शनिवार 17-11-2012 को दिल्ली पहुँच कर प्रातः 9 बजे मैंने उनके कार्यालय में फोन किया कि मैं मा.रावत जी से मिलने के लिए खटीमा से आया हुआ हूँ। कार्यालय से मुझे कहा गया कि आप 12 बजे तक आ जाइए मन्त्री जी से भेंट हो जायेगी। मैं जब 11 बजे उनके निवास पर पहुँचा तो मन्त्री जी देहरादून जाने की तैयारी में थे। लेकिन व्यस्तता के क्षणों में भी वे हवाई चप्पलों को पहने हुए ही मुझसे मिलने के लिए आ गये और मुझसे गले लग कर भेंट की। इसीलिए मैं कहता हूँ कि "राजनेता से बढ़कर एक अच्छे इन्सान हैं मा.हरीश रावत जी!"