"दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Sunday, November 11, 2012
दूर करने को अन्धेरा दीप झिलमिल जल रहे।
स्नेह पाकर प्यार का दीपक खुशी से खिल रहे।।
दीन की कुटिया-भवन जगमग हुए आलोक से।
लग रहा मानों सितारे आ गये द्यु-लोक से।।
प्रेम से करना "गजानन-लक्ष्मी" आराधना।
आज होनी चाहिए "माँ शारदे" की साधना।।
अपने मन में इक दिया नन्हा जलाना ज्ञान का।
उर से सारा तम हटाना, आज सब अज्ञान का।।
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!
आप खुशियों से धरा को जगमगाएँ!
दीप-उत्सव पर बहुत शुभ-कामनाएँ!!