कविता: "मुझे अकेला ही रहने दो"
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* "मुझे अकेला ही रहने दो" *
क्यों छीन रहे हो मेरी खुसी मुझसे,
क्या हमसे कोई नाराजगी है।
अरे जीने दो जिंदगी मुझे अपनी तरह,
इसमें क्या कोई बुराई है.
हर वक्त ...
19 hours ago
1 comments:
शुभकामनाऐं ।
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