कविता :"बारिश "
-
*"बारिश "*
बारिश का आहार था,
चमकती सी धूप बरकरार था |
बाहर जाने का करता न मन ,
ये गर्मी भी कर रही है तंग |
अकेले नहीं वो है सूरज के संग ,
कभी बादल वर्षा दे...
3 days ago
© Blogger templates Newspaper II by Ourblogtemplates.com 2008
Back to TOP
2 comments:
बहुत बहुत बधाइयाँ ।
बधाई !
Post a Comment