कविता :"मौसम "
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*"मौसम "*
अब मौसम को क्या बताना ,
कभी कड़क गर्मी और धूप से मंडराना |
कभी काले बदलो से सूर्य ढक ले जाना ,
बारिश की मौसम का अब न कोई ढिकाना |
अब मौसम को क्या...
17 hours ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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