कविता : " परेशान परिंदा था "
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*" परेशान परिंदा था " *
उल्झा - उल्झा, बुझा - बुझा सा था।
खामोशियाँ साथ में भरा हुआ था।
गुमसुम शांत बैठा था।
देख जब तो पाया यह तो परेशान परिंदा था।
जू...
17 hours ago
4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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