कविता :"मज़दूर "
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*"मज़दूर "*
मजदूर है हम ,कोई चोर नहीं |
मेहनत करते है ,पसीना भाते है |
एक वक्त का पेट भरने के लिए ,
पहाड़ो से टकराते है हम |
मजदूर है हम ,
किसी का छीनकर नह...
1 day ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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