कविता :"बारिश "
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*"बारिश "*
बारिश का आहार था,
चमकती सी धूप बरकरार था |
बाहर जाने का करता न मन ,
ये गर्मी भी कर रही है तंग |
अकेले नहीं वो है सूरज के संग ,
कभी बादल वर्षा दे...
3 days ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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