कविता : "संघर्ष "
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* "संघर्ष "*
देखो है हजारों की संघर्ष,
जब नहीं थी चीजे उपलब्ध |
लोगो में थे आपसी संबंध,
न थी एक-दूसरे के प्रति घमंड |
उम्मीदों की छाया बनते थे वह सब,
मुशीब...
6 days ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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