कविता: " मंजिल पाओगे "
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* " मंजिल पाओगे "*
यूँ न बैठ उदास होकर ,
अभी जिंदगी के कई जंग बाकी है ,
एक जंग ही तो प्रविजय हुआँ है।
तू अगले युद्ध की तयारी कर ,
थोड़ा मेहनत और होशियार क...
1 week ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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