"व्यञ्नावली-ऊष्म और संयुक्ताक्षर" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
Monday, October 10, 2016
मित्रों!
आज हिन्दी वर्णमाला की
अन्तिम कड़ी में प्रस्तुत हैं
ऊष्म और संयुक्ताक्षर
सबसे पहले देखिए..
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“ष”
“ष” से बन जाता षटकोण!
षड्दर्शन, षड्दृष्टिकोण!
षट्-विद्याओं को धारणकर,
बन जाओ अर्जुन और द्रोण!!
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“श”
“श” से शंकर हैं भगवान!
शम्भू जी हैं कृपानिधान!
खाओ शहद, शरीफा मीठा,
कभी न कहलाना शैतान!!
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“स”
“स” से संविधान, सरकार,
संसद में बैठा सरदार!
विजय सत्य की ही होती है,
झूठों की हो जाती हार!!
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“ह”
“ह” से हल को हाथ लगाओ!
हरियाली धरती पर लाओ!
सरल-सुगम है हिन्दी भाषा,
देवनागरी को अपनाओ!!
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दो या दो से अधिक अक्षरों की
सन्धि से मिलकर बने अक्षरों को
संयुक्ताक्षर कहते हैं!
हिन्दी वर्णमाला के साथ
इनको पढ़ाया जाना सर्वथा अनुपयुक्त है!
फिर भी आजकल के शिक्षाविदों ने
ये संयुक्ताक्षर
वर्णमाला के साथ जोड़ दिये हैं !
लगे हाथ इन पर भी
एक-एक मुक्तक देख लीजिए!
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"क्ष"
क् और श मिल “क्ष” बन जाता!
"क्ष" से ही क्षत्रिय कहलाता!
क्षमा बहुत ही अच्छा गुण है,
वेद हमें यह ही बतलाता!!
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"त्र"
त् और र मिल बने त्रिशूल!
तीन नुकीले इसमें शूल!
तीन कोण वाले त्रिभुज को,
बच्चों कभी न जाना भूल!
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"ज्ञ"
ज् और ञ मिल "ज्ञ" बन जाता
ज्ञानी हमको ज्ञान सिखाता!
गुरूद्वारों में जाकर देखो,
ग्रन्थी “ज्ञानी-जी” कहलाता!!
"श्र"
श् और र मिल श्र बन जाता!
श्रम करने से धन मिल जाता!
श्री लक्ष्मी का है वरदान,
श्रमिक देश का भाग्य-विधाता!!
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2 comments:
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