कविता :"बारिश "
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*"बारिश "*
बारिश का आहार था,
चमकती सी धूप बरकरार था |
बाहर जाने का करता न मन ,
ये गर्मी भी कर रही है तंग |
अकेले नहीं वो है सूरज के संग ,
कभी बादल वर्षा दे...
3 days ago
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2 comments:
नववर्ष 2014 सभी के लिये मंगलमय हो ,सुखकारी हो , आल्हादकारी हो
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..
नए साल की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें!
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