कविता: "ठंडी"
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*"ठंडी" *
आ गया देखो सर्दी का मौशम,
सुबह सुबह मौशम लगता है औसम।
चारो ओर कोहरा ढक लिया सबके ,
नहाने का मन नहीं करता,
सुबह की वो अच्छी सी नींद खराब नहीं करना...
1 day ago
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4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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