कविता: "बादलों की कहानी"
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* "बादलों की कहानी"*
बूंदा बाँदी सुरु हुई थी ,
कुछ खास नहीं पर बरस रही थी।
छाए थे काले घनघोर बादल ,
चारो ओर अँधेरा ही था।
हवा रुख ने बदल दिया ,
मौशम जब उमड़...
4 hours ago
4 comments:
वाह बहुत सुंदर ।
अद्भुत एवं अनुपम प्रस्तुति ! अति सुन्दर !
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 25-9-2014 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1747 में दिया गया है
आभार
जीवन की सुंदर प्रस्तुति।
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