कविता: "बढ़ती ठंडी"
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*"बढ़ती ठंडी"*
ये मौशम भी न कितना सुहाना है ,
इस ठंडी को भी हर साल नवंबर में आना है।
कर देता है मुशिकल जीना ,
यहाँ तक की पानी को कर रखता है ठंडा ,
स्वेटर हो...
7 hours ago
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